अपना नफ़स नफ़स है कि शो'ला कहें जिसे
वो ज़िंदगी है आग का दरिया कहें जिसे
Jaun Eliya
Habib Jalib
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
Faiz Ahmad Faiz
Anwar Masood
Parveen Shakir
Rahat Indori
Ahmad Faraz
Gulzar
Mohsin Naqvi
Allama Iqbal
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(570) Peoples Rate This
ग़म भी है कैफ़ भी है सोज़ भी है साज़ भी है
कोई हंगामा-ए-हयात नहीं
जो दश्त-ए-तमन्ना में हर वक़्त भटकता है
का'बा-ओ-दैर-ओ-कलीसा का तजस्सुस क्यूँ हो
शख़्सिय्यत-ए-फ़नकार मुअ'म्मा नहीं 'वाहिद'
वो और हैं किनारों पे पाते हैं जो सुकूँ
राह-रौ चुप हैं राहबर ख़ामोश
अँधेरों में उजाले ढूँढता हूँ
मेरी दीवानगी-ए-इश्क़ है इक दर्स-ए-जहाँ
हक़ बात सर-ए-बज़्म भी कहने में तअम्मुल
शब-ए-फ़िराक़ कई बार गोशा-ए-दिल से