चाँद Poetry

मेरे आसमान के चाँद को ख़बर दो

मर्यम तस्लीम कियानी

पतझड़ का मौसम था लेकिन शाख़ पे तन्हा फूल खिला था

बिमल कृष्ण अश्क

वो चाँद था बादलों में गुम था

असरार ज़ैदी

वो हातिफ़ की ज़बान में कलाम करने लगी

जवाज़ जाफ़री

किसी की सदा

इब्न-ए-सफ़ी

इन्नोसेंस

फ़ाख़िरा बतूल

गुल-ओ-गुलज़ार गुहर चाँद सितारे बच्चे

फ़ारूक़ इंजीनियर

इक उम्र से जिस को लिए फिरता हूँ नज़र में

अहमद फ़ाख़िर

कभी जो नूर का मज़हर रहा है

अली अकबर अब्बास

देखे-भाले रस्ते थे

असरार ज़ैदी

मुद्दतों बा'द वो गलियाँ वो झरोके देखे

महमूद शाम

जी बहलता ही नहीं ख़ाली क़फ़स से

स्वप्निल तिवारी

अफ़्सूँ पहली बारिश का

मसूद मिर्ज़ा नियाज़ी

यूँ पाबंद-ए-सलासिल हो कर कौन फिरे बाज़ारों में

असरार ज़ैदी

टीपू-सुल्तान

इज्तिबा रिज़वी

दुश्मन की तरफ़ दोस्ती का हाथ

मुनीर नियाज़ी

दूर किनारा

मीराजी

बे-मुरव्वत हैं तो वापस ही उठा ले शब-ओ-रोज़

ज़ुल्फ़िकार नक़वी

सुनते हैं चमकता है वो चाँद अब भी सर-ए-बाम

ज़ुहूर नज़र

रक्खा नहीं ग़ुर्बत ने किसी इक का भरम भी

ज़ुहूर नज़र

दीपक-राग है चाहत अपनी काहे सुनाएँ तुम्हें

ज़ुहूर नज़र

मिरी ज़ात का हयूला तिरी ज़ात की इकाई

ज़ुहैर कंजाही

क़मर-गज़ीदा नज़र से हाला कहाँ से आया

ज़ुबैर शिफ़ाई

तुम अपने चाँद तारे कहकशाँ चाहे जिसे देना

ज़ुबैर रिज़वी

सम्तों का ज़वाल

ज़ुबैर रिज़वी

रात फिर दर्द बनी

ज़ुबैर रिज़वी

बे-कराँ

ज़ुबैर रिज़वी

मुझे तुम शोहरतों के दरमियाँ गुमनाम लिख देना

ज़ुबैर रिज़वी

मैं ने कब बर्क़-ए-तपाँ मौज-ए-बला माँगी थी

ज़ुबैर रिज़वी

दिल को रंजीदा करो आँख को पुर-नम कर लो

ज़ुबैर रिज़वी

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