बोले वो कुछ ऐसी बे-रुख़ी से
दिल ही में रहा सवाल अपना
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
Anwar Masood
Parveen Shakir
Gulzar
Mohsin Naqvi
Ahmad Faraz
Faiz Ahmad Faiz
Habib Jalib
Javed Akhtar
Jaun Eliya
Allama Iqbal
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(442) Peoples Rate This
कोई नहीं आता समझाने
क़ज़ा का वक़्त रुख़्सत की घड़ी है
थकी थकी सी फ़ज़ाएँ बुझे बुझे तारे
चाँदनी रात बड़ी देर के बा'द आई है
कैसे जीते हैं ये किस तरह जिए जाते हैं
सुब्ह से शाम के आसार नज़र आने लगे
ज़ोहद किस किस ने लुटाए हैं तुम्हें क्या मालूम
कितना बेकार तमन्ना का सफ़र होता है
फूल इस ख़ाक-दाँ के हम भी हैं
उम्र गुज़री मिरी शीरीनी-ए-गुफ़्तार के साथ
ये आलाम-ए-हस्ती ये दौर-ए-ज़माना
दिल ने पाया क़रार पहलू में