हनीफ़ कैफ़ी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का हनीफ़ कैफ़ी

हनीफ़ कैफ़ी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का हनीफ़ कैफ़ी
नामहनीफ़ कैफ़ी
अंग्रेज़ी नामHaneef Kaifi
जन्म की तारीख1934
जन्म स्थानDelhi

तमाम आलम से मोड़ कर मुँह मैं अपने अंदर समा गया हूँ

शब-ए-दराज़ का है क़िस्सा मुख़्तसर 'कैफ़ी'

सब नज़र आते हैं चेहरे गर्द गर्द

मुद्दतें गुज़रीं मुलाक़ात हुई थी तुम से

मिले वो लम्हा जिसे अपना कह सकें 'कैफ़ी'

कोई भी रुत हो मिली है दुखों की फ़स्ल हमें

अपनी जानिब नहीं अब लौटना मुमकिन मेरा

अपने काँधों पे लिए फिरता हूँ अपनी ही सलीब

अना अना के मुक़ाबिल है राह कैसे खुले

थे मिरे ज़ख़्मों के आईने तमाम

तमाम आलम से मोड़ कर मुँह मैं अपने अंदर समा गया हूँ

की नज़र मैं ने जब एहसास के आईने में

हर इक कमाल को देखा जो हम ने रू ब-ज़वाल

है राह-रौ के हुए हादसात की दीवार

बिखर के रेत हुए हैं वो ख़्वाब देखे हैं

बना के तोड़ती है दाएरे चराग़ की लौ

आरज़ूएँ कमाल-आमादा

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