मेरा होना भी कोई होना है
मेरी हस्ती भी कोई हस्ती है
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अब वो सौदा नहीं दीवानों में
जब तसव्वुर में न पाएँगे तुम्हें
ज़ोहद किस किस ने लुटाए हैं तुम्हें क्या मालूम
दर-पर्दा जफ़ाओं को अगर जान गए हम
वस्ल की बात और ही कुछ थी
चाँदनी रात बड़ी देर के बा'द आई है
पास आए तो और हो गए दूर
थकी थकी सी फ़ज़ाएँ बुझे बुझे तारे
एक उदासी दिल पर छाई रहती है
गरचे सौ बार ग़म-ए-हिज्र से जाँ गुज़री है
फूल इस ख़ाक-दाँ के हम भी हैं
हम को तो गर्दिश-ए-हालात पे रोना आया