क्या करूँगा ले के वाइज़ हाथ से हूरों के जाम
हूँ मैं साग़र-कश किसी के साग़र-ए-मख़मूर का
Parveen Shakir
Jaun Eliya
Mir Taqi Mir
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Ahmad Faraz
Gulzar
Rahat Indori
Wasi Shah
Habib Jalib
Faiz Ahmad Faiz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(469) Peoples Rate This
ज़ाहिद सभी हैं नेमत-ए-हक़ जो है अक्ल-ओ-शर्ब
साक़ी गई बहार रही दिल में ये हवस
अबस तू घर बसाता है मिरी आँखों में ऐ प्यारे
'सौदा' शेर में है बड़ाई तुझ को
जो गुल है याँ सो उस गुल-ए-रुख़्सार साथ है
ज़ालिम न मैं कहा था कि इस ख़ूँ से दरगुज़र
कब दिल शिकस्त-गाँ से कर अर्ज़-ए-हाल आया
बरहमन बुत-कदे के शैख़ बैतुल्लाह के सदक़े
न जिया तेरी चश्म का मारा
किस के हैं ज़ेर-ए-ज़मीं दीदा-ए-नम-नाक हनूज़
गर तुझ में है वफ़ा तो जफ़ाकार कौन है
'सौदा' ख़ुदा के वास्ते कर क़िस्सा मुख़्तसर