आज कुछ मुज़्महिल सी यादों के
यूँ सुलगने लगे हैं अफ़्साने
जैसे इक नीम-सोज़ शम्अ के गिर्द
सिसकियाँ ले रहे हों परवाने
Habib Jalib
Faiz Ahmad Faiz
Wasi Shah
Rahat Indori
Ahmad Faraz
Anwar Masood
Parveen Shakir
Javed Akhtar
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Allama Iqbal
Gulzar
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मेरा ख़ुदा
बंद हो जाए मिरी आँख अगर
तुझ को आते ही नहीं छुपने के अंदाज़ अभी
सौ बार चमन महका सौ बार बहार आई
पूछता क्या है हम-नशीं मुझ से
रात दिन
नज़र में ढल के उभरते हैं दिल के अफ़्साने
अगरचे आँख बहुत शोख़ियों की ज़द में रही
आज 'तबस्सुम' सब के लब पर
राजा रानी की कहानी
हुस्न मजबूर-ए-जफ़ा है शायद
काविश-ए-बेश-ओ-कम की बात न कर