जिन का सूझा न कुछ जवाब हमें
उन सवालों पे हँस दिए हम लोग
Rahat Indori
Parveen Shakir
Wasi Shah
Anwar Masood
Mir Taqi Mir
Gulzar
Habib Jalib
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Jaun Eliya
Ahmad Faraz
Faiz Ahmad Faiz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
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एक किरन फिर मुझ को वापस खींच गई
सर-ए-अफ़्लाक बिछा चाहती है
तू भी नाराज़ बहुत है मुझ से
बला का हब्स था पर नींद टूटती ही न थी
इरादा तो नहीं है ख़ुद-कुशी का
ज़र्रों की बातों में आने वाला था
लफ़्ज़ की क़ैद-ओ-रिहाई का हुनर
ये सदा काश उसी ने दी हो
हमारे दरमियाँ जो उठ रही थी
में अदम की पनाह-गाह में हूँ
दश्त की ख़ाक भी छानी है
मेरी कोशिश तो यही है कि ये मा'सूम रहे