बिछड़े हुए ख़्वाब आ के पकड़ लेते हैं दामन
हर रास्ता परछाइयों ने रोक लिया है
Rahat Indori
Mohsin Naqvi
Gulzar
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Anwar Masood
Habib Jalib
Parveen Shakir
Faiz Ahmad Faiz
Ahmad Faraz
Allama Iqbal
Javed Akhtar
Jaun Eliya
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बे-बरसे गुज़र जाते हैं उमडे हुए बादल
उम्र भर मिलते रहे फिर भी न मिलने पाए
लेते हैं तिरा नाम ही यूँ जागते सोते
मौत की जुस्तुजू
आगही की दुआ
हम जो टूटे तो ग़म-ए-दहर का पैमाना बने
हम ने देखा है मोहब्बत का सज़ा हो जाना
आँख जो नम हो वही दीदा-ए-तर मेरा है
रहे वो ज़िक्र जो लब-हा-ए-आतिशीं से चले
सहराओं में दरिया भी सफ़र भूल गया है
कतरा के गुल्सिताँ से जो सू-ए-क़फ़स चले
अँधेरा इतना नहीं है कि कुछ दिखाई न दे