थक गया एक कहानी सुनते सुनते मैं
क्या इस का अंजाम नहीं होता कोई
Jaun Eliya
Anwar Masood
Rahat Indori
Gulzar
Ahmad Faraz
Habib Jalib
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Parveen Shakir
Faiz Ahmad Faiz
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(851) Peoples Rate This
तू पशेमाँ न हो मैं शाद हूँ नाशाद नहीं
महकती ज़ुल्फ़ों से ख़ोशे गुलों के छूट गिरे
एक किरन बस रौशनियों में शरीक नहीं होती
बहार कौन सी तुझ में जमाल-ए-यार न थी
मिरी जगह कोई आईना रख लिया होता
देख कभी आ कर ये ला-महदूद फ़ज़ा
झुके हुए पेड़ों के तनों पर छाप है चंचल धारे की
रास्ते में कहीं खोना ही तो है
न अब्र से तिरा साया न तू निकलता है
शायद अब भी कोई शरर बाक़ी हो 'ज़ेब'
तेरे सामने आते हुए घबराता हूँ
मुझ से ऐसे वामांदा-ए-जाँ को बिस्तर-विस्तर क्या