पेश-तर जुम्बिश-ए-लब बात से पहले क्या था

पेश-तर जुम्बिश-ए-लब बात से पहले क्या था

ज़ेहन में सिफ़्र की औक़ात से पहले क्या था

वसलत ओ हिजरत-ए-उश्शाक़ में क्या था अव्वल

नफ़ी थी ब'अद तो इसबात से पहले क्या था

कोई गर्दिश थी कि साकित थे ज़मीन ओ ख़ुर्शीद

गुम्बद-ए-वक़्त में दिन रात से पहले क्या था

मैं अगर पहला तमाशा था तमाशा-गह में

मश्ग़ला उस का मिरी ज़ात से पहले क्या था

कुछ वसीला तो रहा होगा शिकम-सेरी का

रिज़्क़-ए-ख़ुफ़्ता कि नबातात से पहले क्या था

मैं अगर आदम-ए-सानी हूँ तो विर्सा है कहाँ

ज़र्फ़-ए-अज्दाद में अम्वात से पहले क्या था

हर मुलाक़ात का अंजाम जुदाई था अगर

फिर ये हंगामा मुलाक़ात से पहले क्या था

मैं भी मग़्लूब था हाजात की कसरत से मगर

लुत्फ़ उस को भी मुनाजात से पहले क्या था

(828) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Pesh-tar Jumbish-e-lab Baat Se Pahle Kya Tha In Hindi By Famous Poet Ejaz Gul. Pesh-tar Jumbish-e-lab Baat Se Pahle Kya Tha is written by Ejaz Gul. Complete Poem Pesh-tar Jumbish-e-lab Baat Se Pahle Kya Tha in Hindi by Ejaz Gul. Download free Pesh-tar Jumbish-e-lab Baat Se Pahle Kya Tha Poem for Youth in PDF. Pesh-tar Jumbish-e-lab Baat Se Pahle Kya Tha is a Poem on Inspiration for young students. Share Pesh-tar Jumbish-e-lab Baat Se Pahle Kya Tha with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.