हसन Poetry (page 39)

दिल बहुत तंग रहा करता है

हैदर अली आतिश

दौलत-ए-हुस्न की भी है क्या लूट

हैदर अली आतिश

चमन में शब को जो वो शोख़ बे-नक़ाब आया

हैदर अली आतिश

बुलबुल को ख़ार ख़ार-ए-दबिस्ताँ है इन दिनों

हैदर अली आतिश

बाज़ार-ए-दहर में तिरी मंज़िल कहाँ न थी

हैदर अली आतिश

बरगश्ता-तालई का तमाशा दिखाऊँ मैं

हैदर अली आतिश

ऐसी वहशत नहीं दिल को कि सँभल जाऊँगा

हैदर अली आतिश

आश्ना गोश से उस गुल के सुख़न है किस का

हैदर अली आतिश

आरिफ़ है वो जो हुस्न का जूया जहाँ में है

हैदर अली आतिश

आइना सीना-ए-साहब-नज़राँ है कि जो था

हैदर अली आतिश

आबले पावँ के क्या तू ने हमारे तोड़े

हैदर अली आतिश

शो'ला-ए-दर्द ब-उन्वान-ए-तजल्ला ही सही

हाफ़िज़ लुधियानवी

ज़माने का भरोसा क्या अभी कुछ है अभी कुछ है

हफ़ीज़ जौनपुरी

यूँ तो हसीन अक्सर होते हैं शान वाले

हफ़ीज़ जौनपुरी

शब-ए-वस्ल है बहस हुज्जत अबस

हफ़ीज़ जौनपुरी

मोहब्बत क्या बढ़ी है वहम बाहम बढ़ते जाते हैं

हफ़ीज़ जौनपुरी

बताऊँ क्या किसी को मैं कि तुम क्या चीज़ हो क्या हो

हफ़ीज़ जौनपुरी

अजब ज़माने की गर्दिशें हैं ख़ुदा ही बस याद आ रहा है

हफ़ीज़ जौनपुरी

अदा परियों की सूरत हूर की आँखें ग़ज़ालों की

हफ़ीज़ जौनपुरी

रक़्क़ासा

हफ़ीज़ जालंधरी

कृष्ण कन्हैया

हफ़ीज़ जालंधरी

अब ख़ूब हँसेगा दीवाना

हफ़ीज़ जालंधरी

आख़िरी रात

हफ़ीज़ जालंधरी

ये मुलाक़ात मुलाक़ात नहीं होती है

हफ़ीज़ जालंधरी

कोई दवा न दे सके मशवरा-ए-दुआ दिया

हफ़ीज़ जालंधरी

ख़ून बन कर मुनासिब नहीं दिल बहे

हफ़ीज़ जालंधरी

जल्वा-ए-हुस्न को महरूम-ए-तमाशाई कर

हफ़ीज़ जालंधरी

जहाँ क़तरे को तरसाया गया हूँ

हफ़ीज़ जालंधरी

इश्क़ ने हुस्न की बे-दाद पे रोना चाहा

हफ़ीज़ जालंधरी

हैरान न हो देख मैं क्या देख रहा हूँ

हफ़ीज़ जालंधरी

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