दिल Poetry (page 409)

जिस ने किए हैं फूल निछावर कभी कभी

आल-ए-अहमद सूरूर

जब कभी बात किसी की भी बुरी लगती है

आल-ए-अहमद सूरूर

हम बर्क़-ओ-शरर को कभी ख़ातिर में न लाए

आल-ए-अहमद सूरूर

फ़ुग़ान-ए-दर्द में भी दर्द की ख़लिश ही नहीं

आल-ए-अहमद सूरूर

एक दीवाने को इतना ही शरफ़ क्या कम है

आल-ए-अहमद सूरूर

दास्तान-ए-शौक़ कितनी बार दोहराई गई

आल-ए-अहमद सूरूर

आज से पहले तिरे मस्तों की ये ख़्वारी न थी

आल-ए-अहमद सूरूर

दर-ब-दर फिरने ने मेरी क़द्र खोई ऐ फ़लक

आग़ा अकबराबादी

तिरे जलाल से ख़ुर्शीद को ज़वाल हुआ

आग़ा अकबराबादी

सिक्का-ए-दाग़-ए-जुनूँ मिलते जो दौलत माँगता

आग़ा अकबराबादी

नुमूद-ए-क़ुदरत-ए-पर्वरदिगार हम भी हैं

आग़ा अकबराबादी

निगाहों में इक़रार सारे हुए हैं

आग़ा अकबराबादी

मुद्दत के बा'द इस ने लिखा मेरे नाम ख़त

आग़ा अकबराबादी

मज़ा है इम्तिहाँ का आज़मा ले जिस का जी चाहे

आग़ा अकबराबादी

मलते हैं हाथ, हाथ लगेंगे अनार कब

आग़ा अकबराबादी

मद्दाह हूँ मैं दिल से मोहम्मद की आल का

आग़ा अकबराबादी

ख़ुद मज़ेदार तबीअ'त है तो सामाँ कैसा

आग़ा अकबराबादी

जा लड़ी यार से हमारी आँख

आग़ा अकबराबादी

हज़ार जान से साहब निसार हम भी हैं

आग़ा अकबराबादी

हमारे सामने कुछ ज़िक्र ग़ैरों का अगर होगा

आग़ा अकबराबादी

दिल में तिरे ऐ निगार क्या है

आग़ा अकबराबादी

दौर साग़र का चले साक़ी दोबारा एक और

आग़ा अकबराबादी

चाहत ग़म्ज़े जता रही है

आग़ा अकबराबादी

बुत-ए-ग़ुंचा-दहन पे निसार हूँ मैं नहीं झूट कुछ इस में ख़ुदा की क़सम

आग़ा अकबराबादी

दीवाली

आफ़ताब राईस पानीपती

चढ़ा दिया है भगत-सिंह को रात फाँसी पर

आफ़ताब राईस पानीपती

भगवान कृष्ण के चरनों में श्रधा के फूल चढ़ाने को

आफ़ताब राईस पानीपती

अदा से देख लो जाता रहे गिला दिल का

आफ़ताबुद्दौला लखनवी क़लक़

क्या ज़मीं क्या आसमाँ कुछ भी नहीं

आफ़ाक़ सिद्दीक़ी

वहाँ शायद कोई बैठा हुआ है

आदिल रज़ा मंसूरी

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