प्रार्थना Poetry (page 18)

करते हैं शौक़-ए-दीद में बातें हवा से हम

हातिम अली मेहर

का'बा-ओ-बुत-ख़ाना वालों से जुदा बैठे हैं हम

हातिम अली मेहर

जो मेहंदी का बुटना मला कीजिएगा

हातिम अली मेहर

दिल ले गई वो ज़ुल्फ़-ए-रसा काम कर गई

हातिम अली मेहर

भूल ही जाएँ हम को ये तो न हो

हसरत मोहानी

क़वी दिल शादमाँ दिल पारसा दिल

हसरत मोहानी

पैरव-ए-मस्लक-ए-तस्लीम-ओ-रज़ा होते हैं

हसरत मोहानी

नज़्ज़ारा-ए-पैहम का सिला मेरे लिए है

हसरत मोहानी

लुत्फ़ की उन से इल्तिजा न करें

हसरत मोहानी

क्या काम उन्हें पुर्सिश-ए-अरबाब-ए-वफ़ा से

हसरत मोहानी

है मश्क़-ए-सुख़न जारी चक्की की मशक़्क़त भी

हसरत मोहानी

हर्फ़-ए-इंकार कि इक़रार-ए-वफ़ा था क्या था

हसरत देवबंदी

आता हूँ जब उस गली से सौ सौ ख़्वारी खींच कर

हसरत अज़ीमाबादी

दश्त में ख़ाक उड़ाते हैं दुआ करते हैं

हाशिम रज़ा जलालपुरी

शौक़ से आप ये अंग्रेज़ी दवा भी लेते

हसीब सोज़

तय मुझ से ज़िंदगी का कहाँ फ़ासला हुआ

हसन निज़ामी

बसर हो यूँ कि हर इक दर्द हादिसा न लगे

हसन नईम

शुआ-ए-ज़र न मिली रंग-ए-शाइराना मिला

हसन अज़ीज़

देखूँ वो करती है अब के अलम-आराई कि मैं

हसन अज़ीज़

अजीब हाल है सहरा-नशीं हैं घर वाले

हसन अज़ीज़

हुनर जो तालिब-ए-ज़र हो हुनर नहीं रहता

हसन अकबर कमाल

शहर-ए-ना-पुरसाँ में कुछ अपना पता मिलता नहीं

हसन आबिदी

सुनहरे ख़्वाब आँखों में बुना करते थे हम दोनों

हसन अब्बासी

हसरत भरी नज़र से वो देखता है मुझ को

हार्श बरहम भट

ज़िंदगी अब रहे ख़ता कब तक

हरी मेहता

जम्अ हैं सारे मुसाफ़िर ना-ख़ुदा-ए-दिल के पास

हरी चंद अख़्तर

अश्कों का मिरी आँख से पैग़ाम न आए

हरबंस लाल अनेजा 'जमाल'

तुम ख़ुद ही मोहब्बत की हर इक बात भुला दो

हनीफ़ अख़गर

अज़्म-ए-सफ़र से पहले भी और ख़त्म-ए-सफ़र से आगे भी

हनीफ़ अख़गर

यक़ीन की सल्तनत थी और सुल्तानी हमारी

हम्माद नियाज़ी

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