भूल ही जाएँ हम को ये तो न हो
लोग मेरे लिए दुआ न करें
Allama Iqbal
Rahat Indori
Jaun Eliya
Javed Akhtar
Mohsin Naqvi
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
Mir Taqi Mir
Ahmad Faraz
Parveen Shakir
Anwar Masood
Wasi Shah
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(771) Peoples Rate This
देखा किए वो मस्त निगाहों से बार बार
आप को आता रहा मेरे सताने का ख़याल
इक़रार है कि दिल से तुम्हें चाहते हैं हम
न सही गर उन्हें ख़याल नहीं
भुलाता लाख हूँ लेकिन बराबर याद आते हैं
ग़म-ए-आरज़ू का 'हसरत' सबब और क्या बताऊँ
हमें वक़्फ़-ए-ग़म सर-ब-सर देख लेते
और भी हो गए बेगाना वो ग़फ़लत कर के
तासीर-ए-बर्क़-ए-हुस्न जो उन के सुख़न में थी
चोरी चोरी हम से तुम आ कर मिले थे जिस जगह
महरूम-ए-तरब है दिल-ए-दिल-गीर अभी तक
'हसरत' की भी क़ुबूल हो मथुरा में हाज़िरी