जान Poetry

जो पहले ज़रा सी नवाज़िश करे है

फ़ारूक़ रहमान

न सारे ऐब हैं ऐब और हुनर हुनर भी नहीं

फ़रहत अली ख़ान

चले हैं साथ हम अंजान हो कर

फ़रह शाहिद

सियानी

मुबश्शिर अली ज़ैदी

बात में कुछ मगर बयान में कुछ

फ़ारूक़ इंजीनियर

हिजरत

नादिया अंबर लोधी

रिवायती मोहब्बत

ममता तिवारी

इक़रार

इमरान शनावर

तेज़ हो जाएँ हवाएँ तो बगूला हो जाऊँ

ज़ुबैर शिफ़ाई

पहले-पहल लड़ेंगे तमस्ख़ुर उड़ाएँगे

अली ज़रयून

लज़्ज़त-ए-हिज्र ने तड़पाया बहुत रुस्वा किया

नसीम शेख़

था जो मेरे ज़ौक़ का सामान आधा रह गया

अहमद अली बर्क़ी आज़मी

सामाँ तो बेहद है दिल में

अनवर शऊर

बे-साया पेड़

काशिफ़ रफ़ीक़

टीपू-सुल्तान

इज्तिबा रिज़वी

मरहला

दौर आफ़रीदी

किस में ख़ूबी है जलाने में कि जल जाने हैं

इस दिल से मिरे इश्क़ के अरमाँ को निकालो

ग़म के बे-नूर मज़ारों का गला घोंट आया

बदन को छू लें तिरे और सुर्ख़-रू हो लें

दिल महव-ए-तमाशा-ए-लब-ए-बाम नहीं है

बसाई मैं ने जो क़ल्ब-ए-हज़ीं में

ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

बसाई मैं ने जो क़ल्ब-ए-हज़ीं में

ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

ये शोर-ओ-शर तो पहले दिन से आदम-ज़ाद में है

ज़ुल्फ़िक़ार अहमद ताबिश

नाकामी-ए-सद-हसरत-ए-पारीना से डर जाएँ

ज़ुहूर-उल-इस्लाम जावेद

सहरा में घटा का मुंतज़िर हूँ

ज़ुहूर नज़र

छोड़ कर दिल में गई वहशी हवा कुछ भी नहीं

ज़ुहूर नज़र

दिल में रक्खा था शरार-ए-ग़म को आँसू जान के

ज़ुहैर कंजाही

तिलस्माती फ़ज़ा तख़्त-ए-सुलैमाँ पर लिए जाना

ज़ुबैर शिफ़ाई

नया जन्म

ज़ुबैर रिज़वी

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