मुरशद Poetry

अगर ख़ू-ए-तहम्मुल हो तो कोई ग़म नहीं होता

वासिफ़ देहलवी

न पहुँचा साथ यारान-ए-सफ़र की ना-तवानी से

तालिब अली खान ऐशी

न नींद और न ख़्वाबों से आँख भरनी है

तहज़ीब हाफ़ी

इक़बाल से हम-कलामी

शोरिश काश्मीरी

हिजाब-ए-राज़ फ़ैज़-ए-मुर्शिद-ए-कामिल से उठता है

शेर सिंह नाज़ देहलवी

दार है मर्द-ए-अनल-हक़ का वतन

शेर अफ़ज़ल जाफ़री

ये ख़बर आई है आज इक मुर्शिद-ए-अकमल के पास

शौक़ बहराइची

उल्फ़त में बिगड़ कर भी इक वज़्अ निकाली है

शाकिर इनायती

ब-चशम-ए-हक़ीक़त जहाँ देखता हूँ

शाह आसिम

न जाँ-बाज़ों का मजमा था न मुश्ताक़ों का मेला था

शाद अज़ीमाबादी

सदा-ए-जावेदाँ

साहिर होशियारपुरी

मैं भी हूँ इक मकान की हद में

साबिर ज़फ़र

मुझ बला-नोश को तलछट भी है काफ़ी साक़ी

रिन्द लखनवी

हुक्म-ए-मुर्शिद पे ही जी उठना है मर जाना है

राकिब मुख़्तार

कुछ दे इसे रुख़्सत कर

इब्न-ए-इंशा

कुछ हसीनों की मोहब्बत भी बुरी होती है

हसन बरेलवी

तुम कुछ भी करो होश में आने के नहीं हम

फ़रहत एहसास

बुझ गए सारे चराग़-ए-जिस्म-ओ-जाँ तब दिल जला

फ़रहत एहसास

इश्क़ शबनम नहीं शरारा है

दर्शन सिंह

मिलाते हो उसी को ख़ाक में जो दिल से मिलता है

दाग़ देहलवी

ये ख़ुसरवी-ओ-शौकत-ए-शाहाना मुबारक

बेदम शाह वारसी

मुबारक साक़ी-ए-मस्ताँ मुबारक

बेदम शाह वारसी

काबे का शौक़ है न सनम-ख़ाना चाहिए

बेदम शाह वारसी

अगर काबा का रुख़ भी जानिब-ए-मय-ख़ाना हो जाए

बेदम शाह वारसी

ग़म-ए-आफ़ाक़ में आरिफ़ अगर करवट बदलता है

बेबाक भोजपुरी

इश्वा है नाज़ है ग़म्ज़ा है अदा है क्या है

बयाँ अहसनुल्लाह ख़ान

उस ने मिरे मरने के लिए आज दुआ की

अज़ीज़ वारसी

न तो बे-करानी-ए-दिल रही न तो मद्द-ओ-जज़्र-ए-तलब रहा

अमीर हम्ज़ा साक़िब

शमशीर है सिनाँ है किसे दूँ किसे न दूँ

अमीर मीनाई

ज़ौक़ ओ शौक़

अल्लामा इक़बाल

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