जीत Poetry (page 2)

मगर ज़ुल्म के ख़िलाफ़

साहिर लुधियानवी

ख़ुदा-ए-बर्तर तिरी ज़मीं पर ज़मीं की ख़ातिर ये जंग क्यूँ है

साहिर लुधियानवी

पूरी मिरे जुनूँ की ज़रूरत न कर सके

सबा अकबराबादी

कैसे करूँ मैं ज़ब्त-ए-राज़ तू ही मुझे बता कि यूँ

एस ए मेहदी

गरचे मिरे ख़ुलूस से वो बे-ख़बर न था

रोहित सोनी ‘ताबिश’

पहली बरसात की घटा छाई

रिफ़अत अल हुसैनी

न जाने कौन सा मंज़र नज़र से गुज़रा था

रौनक़ रज़ा

हमारे ख़्वाब हमारी पसंद होते गए

रौनक़ रज़ा

क़सीदा फ़त्ह का दुश्मन की तलवारों पे लिक्खा है

राम अवतार गुप्ता मुज़्तर

हिज्र से वस्ल इस क़दर भारी

रईस अमरोहवी

लहू आँखों में रौशन है ये मंज़र देखना अब के

राही कुरैशी

अब आ भी जाओ, बहुत दिन हुए मिले हुए भी

इरफ़ान सत्तार

हम बाग़-ए-तमन्ना में दिन अपने गुज़ार आए

इरम लखनवी

ये इत्र बे-ज़ियाँ नहीं नसीम-ए-नौ-बहार की

इक़बाल सुहैल

जिला

इंजिला हमेश

ज़मीं बिछाई यहाँ आसमाँ बुलंद किया

इनाम नदीम

शिकस्त

इफ़्तिख़ार आरिफ़

शहर इल्म के दरवाज़े पर

इफ़्तिख़ार आरिफ़

सितारा-वार जले फिर बुझा दिए गए हम

इफ़्तिख़ार आरिफ़

अजब है खेल कैरम का

इब्न-ए-मुफ़्ती

तुम्हारे इश्क़ पे दिल को जो मान था न रहा

हुमैरा राहत

तारों से माहताब से और कहकशाँ से क्या

हीरा लाल फ़लक देहलवी

आसान-ए-हक़ीकी है न कुछ सहल-ए-मजाज़ी

हसरत मोहानी

मुंतज़िर था वो तो जुस्त-ओ-जू में ये आवारा था

हैदर अली आतिश

नुमूद पाते हैं मंज़रों की शिकस्त से फ़तह के बहाने

ग़ुलाम हुसैन साजिद

नशात-ए-फ़त्ह से तो दामन-ए-दिल भर नहीं पाए

ग़ुलाम हुसैन साजिद

हुदूद-ए-क़र्या-ए-वहम-ओ-गुमाँ में कोई नहीं

ग़ुलाम हुसैन साजिद

हो गई है ग़ैर की शीरीं-बयानी कारगर

ग़ालिब

बे-ए'तिदालियों से सुबुक सब में हम हुए

ग़ालिब

कब उस की फ़त्ह की ख़्वाहिश को जीत सकती थी

फ़ातिमा हसन

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