गीत Poetry (page 5)

झिलमिलाते हुए आँसू भी अजब होते हैं

रम्ज़ आफ़ाक़ी

चराग़ बुझने लगे और छाई तारीकी

राकिब मुख़्तार

हरी सुनहरी ख़ाक उड़ाने वाला मैं

राजेन्द्र मनचंदा बानी

कहीं से मौत को लाओ कि ग़म की रात कटे

राजेन्द्र कृष्ण

आ जाना

राजेन्द्र नाथ रहबर

क़स्र-ए-वीराँ

राजा मेहदी अली ख़ाँ

मैं संगलाख़ ज़मीनों के राज़ कहता हूँ

राज नारायण राज़

तआरुफ़

राही मासूम रज़ा

मौज-ए-हवा की ज़ंजीरें पहनेंगे धूम मचाएँगे

राही मासूम रज़ा

मूँद कर आँखें तलाश-ए-बहर-ओ-बर करने लगे

इक़बाल साजिद

वो अजीब शख़्स था भीड़ में जो नज़र में ऐसे उतर गया

इन्दिरा वर्मा

शाही बदला

इलियास बाबर आवान

ख़्वाजा-सरा

इलियास बाबर आवान

जैसा हूँ वैसा क्यूँ हूँ समझा सकता था मैं

इफ़्तिख़ार आरिफ़

किसी के हाथ कहाँ ये ख़ज़ाना आता है

इदरीस बाबर

कल हम ने सपना देखा है

इब्न-ए-इंशा

'इंशा'-जी है नाम उन्ही का चाहो तो तुम से मिलवाएँ

इब्न-ए-इंशा

वही हुआ कि ख़ुद भी जिस का ख़ौफ़ था मुझे

हिलाल फ़रीद

दुख उठाओ कितने ही घर बहार करने में

हसन अकबर कमाल

न वो वलवले हैं दिल में न वो आलम-ए-जवानी

हंस राज सचदेव 'हज़ीं'

सिमटती शाम अगर दर्द को जगाएगी

हनीफ़ तरीन

दिल के सूने सहन में गूँजी आहट किस के पाँव की

हम्माद नियाज़ी

तुलूअ' से पहले

हमीदा शाहीन

परदेसी

हमीदा शाहीन

नियाज़-ओ-नाज़ का पैकर न अर्श पर ठहरा

हमीद कौसर

इश्क़ की अंजुमन की बात करें

हैदर अली जाफ़री

पी कर चैन अगर आया भी कितनी देर को आएगा

हफ़ीज़ मेरठी

अहल-ए-ज़बाँ तो हैं बहुत कोई नहीं है अहल-ए-दिल

हफ़ीज़ जालंधरी

हम ही में थी न कोई बात याद न तुम को आ सके

हफ़ीज़ जालंधरी

कहाँ कहाँ न तसव्वुर ने दाम फैलाए

हफ़ीज़ होशियारपुरी

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