गुलाम Poetry (page 2)

ऐ नई नस्ल

साहिर लुधियानवी

अलाउद्दीन का तरबूज़

साग़र ख़य्यामी

मरे दिल बीच नक़्श-ए-नाज़नीं है

सदरुद्दीन मोहम्मद फ़ाएज़

ये दिल की दास्तान है कि दिल ग़ुलाम कर दिया

सबीहा सबा, पाकिस्तान

ये आलम-ए-वहशत है कि दहशत का असर है

रियासत अली ताज

रक्खो ख़िदमत में मुझ से काम तो लो

रिन्द लखनवी

ना-ख़ुश गदाई से न वो शाही से ख़ुश हुए

रऊफ़ ख़ैर

बहुत उदास है माह-ए-तमाम किस के लिए

राशिद अनवर राशिद

तर्क-ए-सितम पे वो जो क़सम खा के रह गए

रशीद रामपुरी

हुस्न क्या जिस को किसी हुस्न से ख़तरा न हुआ

रशीद कौसर फ़ारूक़ी

हर एक साँस ही हम पर हराम हो गई है

राजेश रेड्डी

चश्म-ए-ख़ाना मक़ाम-ए-दर्द का है

इक़बाल ख़ुसरो क़ादरी

ज़ोफ़ आता है दिल को थाम तो लो

इंशा अल्लाह ख़ान

तुम्हारे हाथों की उँगलियों की ये देखो पोरें ग़ुलाम तीसों

इंशा अल्लाह ख़ान

तर्क कर अपने नंग-ओ-नाम को हम

इंशा अल्लाह ख़ान

न तो काम रखिए शिकार से न तो दिल लगाइए सैर से

इंशा अल्लाह ख़ान

मुझे छेड़ने को साक़ी ने दिया जो जाम उल्टा

इंशा अल्लाह ख़ान

दीवार फाँदने में देखोगे काम मेरा

इंशा अल्लाह ख़ान

सड़क

इमरान शमशाद

कोई मेरा इमाम था ही नहीं

इमरान आमी

किया सलाम जो साक़ी से हम ने जाम लिया

इमदाद अली बहर

जाते है ख़ानक़ाह से वाइज़ सलाम है

इमदाद अली बहर

हम ख़िज़ाँ की अगर ख़बर रखते

इमदाद अली बहर

गर्दिश-ए-चर्ख़ से क़याम नहीं

इमदाद अली बहर

चैन दुनिया में ज़मीं से ता-फ़लक दम भर नहीं

इमाम बख़्श नासिख़

मलबे से जो मिली हैं वो लाशें दिखाइए

इफ़्तिख़ार फलक काज़मी

जंगल जंगल शौक़ से घूमो दश्त की सैर मुदाम करो

इब्न-ए-इंशा

थी अजब ही दास्ताँ जब तमाम हो गई

हिलाल फ़रीद

दिल-मोहल्ला ग़ुलाम हो जाए

हाशिम रज़ा जलालपुरी

ना-फ़हमी अपनी पर्दा है दीदार के लिए

हैदर अली आतिश

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