समस्या Poetry (page 3)

अपनी ख़बर, न उस का पता है, ये इश्क़ है

इरफ़ान सत्तार

अजब है रंग-ए-चमन जा-ब-जा उदासी है

इरफ़ान सत्तार

फेंक यूँ पत्थर कि सत्ह-ए-आब भी बोझल न हो

इक़बाल साजिद

ख़्वाब बर्फ़ानी चिता है

इक़बाल ख़ुसरो क़ादरी

मैं दर पे तिरे दर-ब-दरी से निकल आया

इक़बाल कौसर

वो एक शख़्स कि बाइस मिरे ज़वाल का था

इनाम-उल-हक़ जावेद

समझने वाला मिरा मर्तबा समझता है

इनआम आज़मी

दर-ए-उमीद मुक़फ़्फ़ल नहीं हुआ अब तक

इनआम आज़मी

तुम ने ये माजरा सुना है क्या

इमरान शमशाद

मुद्दत से आदमी का यही मसअला रहा

इमरान शमशाद

एहतियातन उसे छुआ नहीं है

इमरान आमी

शौक़ जब भी बंदगी का रहनुमा होता नहीं

इब्न-ए-मुफ़्ती

ये विसाल ओ हिज्र का मसअला तो मिरी समझ में न आ सका

हिलाल फ़रीद

मैं तलाश में किसी और की मुझे ढूँढता कोई और है

हसन अब्बास रज़ा

उस दिन

हारिस ख़लीक़

यही मसअला है जो ज़ाहिदो तो मुझे कुछ इस में कलाम है

हफ़ीज़ जौनपुरी

वो देखने मुझे आना तो चाहता होगा

हबीब जालिब

मुख़्तसर सी बात को भी मसअला कहते रहे

ग़ौसिया ख़ान सबीन

न दामनों में यहाँ ख़ाक-ए-रहगुज़र बाँधो

फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी

मैं अपने दिल की तरह आइना बना हुआ हूँ

फ़रताश सय्यद

होने वाला था इक हादसा रह गया

फ़ारूक़ शफ़क़

इसे भी छोड़ूँ उसे भी छोड़ूँ तुम्हें सभी से ही मसअला है?

फरीहा नक़वी

बिछड़ते दामनों में अपनी कुछ परछाइयाँ रख दो

फ़राज़ सुल्तानपूरी

ता-अबद हासिल-ए-अज़ल हूँ मैं

डॉ. पिन्हाँ

लंदन में जश्न-ए-ग़ालिब

दिलावर फ़िगार

अहमक़ों की कांफ्रेंस

दिलावर फ़िगार

तुझे क्या ख़बर मिरे हम-सफ़र मिरा मरहला कोई और है

दर्शन सिंह

मिरी ज़बाँ पे नए ज़ाइक़ों के फल लिख दे

बशीर बद्र

खोया खोया उदास सा होगा

बलराज कोमल

अब के ताबीर मसअला न रहे

बकुल देव

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