नृत्य Poetry (page 10)

हयात ढूँढ रहा हूँ क़ज़ा की राहों में

बदनाम नज़र

उन्हें मुझ से शिकायत है

अज़रा नक़वी

ख़्वाब-जंगल

अज़रा नक़वी

ग़रीब शहर

अज़ीज़ क़ैसी

अगरचे ज़ेहन के कश्कोल से छलक रहे थे

अज़ीज़ नबील

न जाने शाम ने क्या कह दिया सवेरे से

अज़हर नवाज़

उतर कर पानियों में चाँद महव-ए-रक़्स रहता है

अज़हर नक़वी

गिर्दाब-ए-रेग-ए-जान से मौज-ए-सराब तक

अज़हर नक़वी

अफ़्सुर्दगी-ए-दर्द-ए-फ़राक़त है सहर तक

अज़हर नक़वी

महसूस कर लिया था भँवर की थकान को

अज़हर फ़राग़

न कोई दिन न कोई रात इंतिज़ार की है

अय्यूब ख़ावर

न कोई दिन न कोई रात इंतिज़ार की है

अय्यूब ख़ावर

किसे दिमाग़ कि उलझे तिलिस्म-ए-ज़ात के साथ

अताउर्रहमान क़ाज़ी

मंज़िलें भी ये शिकस्ता-बाल-ओ पर भी देखना

अताउल हक़ क़ासमी

उन का जश्न-ए-साल-गिरह

असरार-उल-हक़ मजाज़

सरमाया-दारी

असरार-उल-हक़ मजाज़

पहला जश्न-ए-आज़ादी

असरार-उल-हक़ मजाज़

इंक़लाब

असरार-उल-हक़ मजाज़

मसरूफ़ हम भी अंजुमन-आराइयों में थे

असरार ज़ैदी

तू अपने शहर-ए-तरब से न पूछ हाल मिरा

असलम महमूद

हज़ार रास्ते बदले हज़ार स्वाँग रचे

असलम इमादी

शाम का रक़्स

असलम इमादी

तमाम खेल-तमाशों के दरमियान वही

असलम इमादी

यादों का लम्स ज़ेहन को छू कर गुज़र गया

असलम आज़ाद

ऐ ज़मिस्ताँ की हवा तेज़ न चल

असलम अंसारी

सामने रह कर न होना मसअला मेरा भी है

आसिम वास्ती

कैसा तिलिस्म आज ये तारी है जिस्म में

अासिफ़ अंजुम

भूल कर तू सारे ग़म अपने चमन में रक़्स कर

अासिफ़ अंजुम

गुल-ए-ख़ुर्शीद खिलाऊँगा चला जाऊँगा

अशरफ़ जावेद

घटा जब रक़्स करती है तो उन की याद आती है

अशहद बिलाल इब्न-ए-चमन

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