गिरावट Poetry (page 2)

मलाल होते हुए दिल पे कुछ मलाल नहीं

सय्यद मोहम्मद ज़फ़र अशक संभली

शिकवे ज़बाँ पे आ सकें इस का सवाल ही न हो

सय्यद हामिद

लरज़ रहा था फ़लक अर्ज़-ए-हाल ऐसा था

सय्यद अमीन अशरफ़

तिलिस्म-ए-कार-ए-जहाँ का असर तमाम हुआ

सुल्तान अख़्तर

इस एक सोच में गुम हैं ख़याल जितने हैं

सुलेमान ख़ुमार

सफ़र की धूप ने चेहरा उजाल रक्खा था

सिदरा सहर इमरान

वही रंग-ए-रुख़ पे मलाल था ये पता न था

सिद्दीक़ मुजीबी

प्यासा जो मेरे ख़ूँ का हुआ था सो ख़्वाब था

सिद्दीक़ मुजीबी

निकाल ज़ात से बाहर निकाल तन्हाई

शुजा ख़ावर

दिल सख़्त निढाल हो गया है

शोहरत बुख़ारी

कभी वो रंज के साँचे में ढाल देता है

शोभा कुक्कल

न कोई ख़्वाब न माज़ी ही मेरे हाल के पास

शहपर रसूल

रक़ाबतों की तरह से हम ने मोहब्बतें बे-मिसाल की हैं

शीश मोहम्मद इस्माईल आज़मी

इस क़दर पाएमाल हैं हम लोग

शातिर हकीमी

वो एक शोर सा ज़िंदाँ में रात भर क्या था

शमीम हनफ़ी

समझ सके न जिसे कोई भी सवाल ऐसा

शमीम हनफ़ी

परछाइयों की बात न कर रंग-ए-हाल देख

शमीम हनफ़ी

वो जो हर दम मिरे ख़याल में है

शकीला बानो

तवील हिज्र है इक मुख़्तसर विसाल के बा'द

शकील आज़मी

मैं ज़ात का उस की आश्ना हूँ

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम

मिरा नहीं तो वो अपना ही कुछ ख़याल करे

शहज़ाद नय्यर

ज़वाल की हद

शहरयार

रतजगों का ज़वाल

शहरयार

ला-ज़वाल सुकूत

शहरयार

ला-ज़वाल होने का

शहरयार

ये क्या हुआ कि तबीअ'त सँभलती जाती है

शहरयार

ये जो रब्त रू-ब-ज़वाल है ये सवाल है

शाहिद लतीफ़

कुंज-ए-दिल में है जो मलाल उछाल

शाहिद कमाल

अंधेरे घर में चराग़ों से कुछ न काम लिया

शाहिद कलीम

ग़म-ए-फ़िराक़ मय ओ जाम का ख़याल आया

शाद अज़ीमाबादी

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