आग Poetry (page 42)

कुन-फ़यकूं का हासिल यानी मिट्टी आग हवा और पानी

अहमद शहरयार

मन के बरगद तले अँगारों की माला भी जपी

अहमद रज़ी बछरायूनी

महफ़िल महफ़िल सन्नाटे हैं

अहमद राही

कोई हसरत भी नहीं कोई तमन्ना भी नहीं

अहमद राही

दिन गुज़रता है कहाँ रात कहाँ होती है

अहमद राही

दिल के सुनसान जज़ीरों की ख़बर लाएगा

अहमद राही

सफ़र और हम-सफ़र

अहमद नदीम क़ासमी

पस-ए-आईना

अहमद नदीम क़ासमी

ये हम ग़ज़ल में जो हर्फ़-ओ-बयाँ बनाते हैं

अहमद मुश्ताक़

खड़े हैं दिल में जो बर्ग-ओ-समर लगाए हुए

अहमद मुश्ताक़

अब न बहल सकेगा दिल अब न दिए जलाइए

अहमद मुश्ताक़

अब न बहल सकेगा दिल अब न दिए जलाइए

अहमद मुश्ताक़

ये जो धुआँ धुआँ सा है दश्त-ए-गुमाँ के आस-पास

अहमद महफ़ूज़

ये जो धुआँ धुआँ सा है दश्त-ए-गुमाँ के आस-पास

अहमद महफ़ूज़

उठिए कि फिर ये मौक़ा हाथों से जा रहेगा

अहमद महफ़ूज़

उठ जा कि अब ये मौक़ा हाथों से जा रहेगा

अहमद महफ़ूज़

ये लग रहा है रग-ए-जाँ पे ला के छोड़ी है

अहमद कमाल परवाज़ी

एक तअस्सुर

अहमद जावेद

बे-ज़ारी की आख़िरी साअत

अहमद जावेद

अन-पढ़ गूँगे का रजज़

अहमद जावेद

आँधी का रजज़

अहमद जावेद

वो बज़्म में हैं रोते हैं उश्शाक़ चौ तरफ़

अहमद हुसैन माइल

वो पारा हूँ मैं जो आग में हूँ वो बर्क़ हूँ जो सहाब में हूँ

अहमद हुसैन माइल

शब-ए-माह में जो पलंग पर मिरे साथ सोए तो क्या हुए

अहमद हुसैन माइल

समझ के हूर बड़े नाज़ से लगाई चोट

अहमद हुसैन माइल

मैं ही मतलूब ख़ुद हूँ तू है अबस

अहमद हुसैन माइल

खड़े हैं मूसा उठाओ पर्दा दिखाओ तुम आब-ओ-ताब-ए-आरिज़

अहमद हुसैन माइल

मकाशफ़ा

अहमद हमेश

लैंडस्केप

अहमद हमेश

ख़ाक-ए-बिसात

अहमद हमेश

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