भरोसा Poetry (page 3)

वो एक लड़की जो ख़ंदा-लब थी न जाने क्यूँ चश्म-तर गई वो

सूफ़िया अनजुम ताज

तुम आसमाँ की तरफ़ न देखो

सूफ़ी तबस्सुम

अब ख़िज़ाँ आए या बहार आए

सोज़ नजीबाबादी

मिला-दिला सही इक ख़ुश्क हार बाक़ी है

सिराज लखनवी

ख़ाक हूँ ए'तिबार की सौगंद

सिराज औरंगाबादी

ज़िंदगी तुझ से प्यार क्या करते

सिरज़ अालम ज़ख़मी

ज़मीं पे रहते हुए कहकशाँ से मिलते हैं

सिरज़ अालम ज़ख़मी

शमीम-ए-ज़ुल्फ़-ए-यार आए न आए

सिकंदर अली वज्द

शमीम ज़ुल्फ़-ए-यार आए न आए

सिकंदर अली वज्द

मुद्दतों में घर हमारे आज यार आ ही गया

बाबू सि द्दीक़ निज़ामी

इस ए'तिबार से बे-इंतिहा ज़रूरी है

शुजा ख़ावर

हासिल-ए-इंतिज़ार कुछ भी नहीं

शोहरत बुख़ारी

सारा जहान छोड़ के तुम से ही प्यार था

शोभा कुक्कल

काटे हैं दिन हयात के लाचार की तरह

शोभा कुक्कल

न है उस को मुझ से ग़फ़लत न वो ज़िम्मेदार कम है

शिफ़ा कजगावन्वी

गईं यारों से वो अगली मुलाक़ातों की सब रस्में

ज़ौक़

न कहो ए'तिबार है किस का

शैख़ अली बख़्श बीमार

कौन दुनिया से बादा-ख़्वार उठा

शैख़ अली बख़्श बीमार

अजीब आदत है बे-सबब इंतिज़ार करना

शीश मोहम्मद इस्माईल आज़मी

दिल-ओ-निगाह के हुस्न-ओ-क़रार का मौसम

शाज़िया अकबर

जफ़ा पे शुक्र का उम्मीद-वार क्यूँ आया

शौक़ क़िदवाई

ये ख़बर आई है आज इक मुर्शिद-ए-अकमल के पास

शौक़ बहराइची

किया जो ए'तिबार उन पर मरीज़-ए-शाम-ए-हिज्राँ ने

शौक़ बहराइची

बड़े वसूक़ से दुनिया फ़रेब देती रही

शाैकत वास्ती

इस फ़ैसले पे लुट गई दुनिया-ए-ए'तिबार

शौकत परदेसी

मिरे दिल पे तेरा क़ब्ज़ा मिरा इख़्तियार तू है

शातिर हकीमी

उदास हैं सब पता नहीं घर में क्या हुआ है

शारिक़ कैफ़ी

किसी के वादा-ए-फ़र्दा में गुम है इंतिज़ार अब भी

शम्स फ़र्रुख़ाबादी

नज़र समेटें बटोर कर इंतिज़ार रख दें

शमीम अब्बास

तेरी नज़र के सामने ये दिल नहीं रहा

शकील शम्सी

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