बात Poetry (page 62)

मिरी शराब की तौबा पे जा न ऐ वाइज़

हफ़ीज़ जौनपुरी

कभी मस्जिद में जो वाइज़ का बयाँ सुनता हूँ

हफ़ीज़ जौनपुरी

यूँ तो हसीन अक्सर होते हैं शान वाले

हफ़ीज़ जौनपुरी

याद है पहले-पहल की वो मुलाक़ात की बात

हफ़ीज़ जौनपुरी

याद है पहले-पहल की वो मुलाक़ात की बात

हफ़ीज़ जौनपुरी

वो हसीं बाम पर नहीं आता

हफ़ीज़ जौनपुरी

उस को आज़ादी न मिलने का हमें मक़्दूर है

हफ़ीज़ जौनपुरी

उन को दिल दे के पशेमानी है

हफ़ीज़ जौनपुरी

सदमे जो कुछ हों दिल पे सहिए

हफ़ीज़ जौनपुरी

क़ासिद ख़िलाफ़-ए-ख़त कहीं तेरा बयाँ न हो

हफ़ीज़ जौनपुरी

पत्थर से न मारो मुझे दीवाना समझ कर

हफ़ीज़ जौनपुरी

ख़ुद-ब-ख़ुद आँख बदल कर ये सवाल अच्छा है

हफ़ीज़ जौनपुरी

ख़ुद-बख़ुद आँख बदल कर ये सवाल अच्छा है

हफ़ीज़ जौनपुरी

कहा ये किस ने कि वादे का ए'तिबार न था

हफ़ीज़ जौनपुरी

जुनूँ के जोश में फिरते हैं मारे मारे अब

हफ़ीज़ जौनपुरी

हम को दिखा दिखा के ग़ैरों के इत्र मलना

हफ़ीज़ जौनपुरी

हो तर्क किसी से न मुलाक़ात किसी की

हफ़ीज़ जौनपुरी

हसीनों से फ़क़त साहिब-सलामत दूर की अच्छी

हफ़ीज़ जौनपुरी

दीवाने हुए सहरा में फिरे ये हाल तुम्हारे ग़म ने किया

हफ़ीज़ जौनपुरी

दिल पर लगा रही है वो नीची निगाह चोट

हफ़ीज़ जौनपुरी

चाक-ए-दामाँ न रहा चाक-ए-गरेबाँ न रहा

हफ़ीज़ जौनपुरी

बैठ जाता हूँ जहाँ छाँव घनी होती है

हफ़ीज़ जौनपुरी

अदा परियों की सूरत हूर की आँखें ग़ज़ालों की

हफ़ीज़ जौनपुरी

आप ही से न जब रहा मतलब

हफ़ीज़ जौनपुरी

ज़ब्त-ए-गिर्या कभी करता हूँ तो फ़रमाते हैं

हफ़ीज़ जालंधरी

ओ दिल तोड़ के जाने वाले दिल की बात बताता जा

हफ़ीज़ जालंधरी

हम ही में थी न कोई बात याद न तुम को आ सके

हफ़ीज़ जालंधरी

ये मुलाक़ात मुलाक़ात नहीं होती है

हफ़ीज़ जालंधरी

ये और दौर है अब और कुछ न फ़रमाए

हफ़ीज़ जालंधरी

वो सरख़ुशी दे कि ज़िंदगी को शबाब से बहर-याब कर दे

हफ़ीज़ जालंधरी

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