बात Poetry (page 64)

दिल की बात लबों पर ला कर अब तक हम दुख सहते हैं

हबीब जालिब

छोड़ इस बात को ऐ दोस्त कि तुझ से पहले

हबीब जालिब

ज़ुल्मत को ज़िया सरसर को सबा बंदे को ख़ुदा क्या लिखना

हबीब जालिब

शहर-ए-ज़ुल्मात को सबात नहीं

हबीब जालिब

सहाफ़ी से

हबीब जालिब

मुलाक़ात

हबीब जालिब

लायल-पूर

हबीब जालिब

दस्तूर

हबीब जालिब

अहद-ए-सज़ा

हबीब जालिब

ये सोच कर न माइल-ए-फ़रियाद हम हुए

हबीब जालिब

ये और बात तेरी गली में न आएँ हम

हबीब जालिब

वो देखने मुझे आना तो चाहता होगा

हबीब जालिब

उस ने जब हँस के नमस्कार किया

हबीब जालिब

मावरा-ए-जहाँ से आए हैं

हबीब जालिब

क्या क्या लोग गुज़र जाते हैं रंग-बिरंगी कारों में

हबीब जालिब

कौन बताए कौन सुझाए कौन से देस सिधार गए

हबीब जालिब

इस शहर-ए-ख़राबी में ग़म-ए-इश्क़ के मारे

हबीब जालिब

इस शहर-ए-ख़राबी में ग़म-ए-इश्क़ के मारे

हबीब जालिब

हम ने दिल से तुझे सदा माना

हबीब जालिब

हर-गाम पर थे शम्स-ओ-क़मर उस दयार में

हबीब जालिब

'ग़ालिब'-ओ-'यगाना' से लोग भी थे जब तन्हा

हबीब जालिब

दुश्मनों ने जो दुश्मनी की है

हबीब जालिब

दिल-ए-पुर-शौक़ को पहलू में दबाए रक्खा

हबीब जालिब

दिल पर जो ज़ख़्म हैं वो दिखाएँ किसी को क्या

हबीब जालिब

दिल की बात लबों पर ला कर अब तक हम दुख सहते हैं

हबीब जालिब

दरख़्त सूख गए रुक गए नदी नाले

हबीब जालिब

भुला भी दे उसे जो बात हो गई प्यारे

हबीब जालिब

तालिब-ए-बोसा हूँ मैं क़ासिद वो हैं ख़्वाहान-ए-जान

हबीब मूसवी

उस से क्या छुप सके बनाई बात

हबीब मूसवी

रोना इन का काम है हर दम जल जल कर मर जाना भी

हबीब मूसवी

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