हसन Poetry (page 69)

हमेशा शेफ़्ता रखती है अपने हुस्न-ए-क़ुदरत का

आग़ा हज्जू शरफ़

वो रंगत तू ने ऐ गुल-रू निकाली

आग़ा हज्जू शरफ़

उड़ कर सुराग़-ए-कूचा-ए-दिलबर लगाइए

आग़ा हज्जू शरफ़

तीर-ए-नज़र से छिद के दिल-अफ़गार ही रहा

आग़ा हज्जू शरफ़

तिरी हवस में जो दिल से पूछा निकल के घर से किधर को चलिए

आग़ा हज्जू शरफ़

रुलवा के मुझ को यार गुनहगार कर नहीं

आग़ा हज्जू शरफ़

रहा करते हैं यूँ उश्शाक़ तेरी याद ओ हसरत में

आग़ा हज्जू शरफ़

पुर-नूर जिस के हुस्न से मदफ़न था कौन था

आग़ा हज्जू शरफ़

परी-पैकर जो मुझ वहशी का पैराहन बनाते हैं

आग़ा हज्जू शरफ़

मौसम-ए-गुल में जो घिर घिर के घटाएँ आईं

आग़ा हज्जू शरफ़

लुटाते हैं वो बाग़-ए-इश्क़ जाए जिस का जी चाहे

आग़ा हज्जू शरफ़

जब से हुआ है इश्क़ तिरे इस्म-ए-ज़ात का

आग़ा हज्जू शरफ़

हम हैं ऐ यार चढ़ाए हुए पैमाना-ए-इश्क़

आग़ा हज्जू शरफ़

हुए ऐसे ब-दिल तिरे शेफ़्ता हम दिल-ओ-जाँ को हमेशा निसार किया

आग़ा हज्जू शरफ़

दरपेश अजल है गंज-ए-शहीदाँ ख़रिदिए

आग़ा हज्जू शरफ़

यूँ इलाज-ए-दिल बीमार किया जाएगा

अफ़ज़ल इलाहाबादी

यादों के नशेमन को जलाया तो नहीं है

अफ़ज़ल इलाहाबादी

किसी की याद रुलाये तो क्या किया जाए

अफ़ज़ल इलाहाबादी

ग़ज़ल का हुस्न है और गीत का शबाब है वो

अफ़ज़ल इलाहाबादी

एक लड़की

अफ़ज़ाल अहमद सय्यद

अभी है हुस्न में हुस्न-ए-नज़र की कार-फ़रमाई

आफ़ताब हुसैन

मक़ाम-ए-शौक़ से आगे भी इक रस्ता निकलता है

आफ़ताब हुसैन

है तेरे लिए सारा जहाँ हुस्न से ख़ाली

अफ़सर मेरठी

ग़म-ए-हयात के पेश-ओ-अक़ब नहीं पढ़ता

अफ़सर माहपुरी

तेरी ख़ुशबू का तराशा है ये पैकर किस ने

अफ़सर आज़री

यूँ ख़बर किसे थी मेरी तिरी मुख़बिरी से पहले

अफ़रोज़ आलम

शौक़-ए-वारफ़्ता चला शहर-ए-तमाशा की तरफ़

अफ़ीफ़ सिराज

उसी एक फ़र्द के वास्ते मिरे दिल में दर्द है किस लिए

अदीम हाशमी

क्यूँ मिरे लब पे वफ़ाओं का सवाल आ जाए

अदीम हाशमी

ख़लिश-ए-तीर-ए-बे-पनाह गई

अदा जाफ़री

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