दिया Poetry (page 93)

इल्तिजाएँ कर के माँगी थी मोहब्बत की कसक

अब्बास ताबिश

वो कौन है जो पस-ए-चश्म-ए-तर नहीं आता

अब्बास ताबिश

परिंदे पूछते हैं तुम ने क्या क़ुसूर किया

अब्बास ताबिश

निगाह-ए-अव्वलीं का है तक़ाज़ा देखते रहना

अब्बास ताबिश

हवा-ए-तेज़ तिरा एक काम आख़िरी है

अब्बास ताबिश

चाँद को तालाब मुझ को ख़्वाब वापस कर दिया

अब्बास ताबिश

आँख पे पट्टी बाँध के मुझ को तन्हा छोड़ दिया है

अब्बास ताबिश

जहाँ सारे हवा बनने की कोशिश कर रहे थे

अब्बास क़मर

कोई सुबूत-ए-जुर्म जगह पर नहीं मिला

अब्बास दाना

गर्दिश-ए-दौराँ से इक लम्हा चुराने लिए

अब्बास दाना

अक़्ल-ओ-दानिश को ज़माने से छुपा रक्खा है

अब्बास दाना

चुप-चाप गुज़र जाओ

अब्बास अतहर

वो मेरे क़ल्ब को छेदेगा कब गुमान में था

अातिश बहावलपुरी

किस के बदन की नर्मियाँ हाथों को गुदगुदा गईं

आतिफ़ वहीद 'यासिर'

आँखों को नक़्श-ए-पा तिरा दिल को ग़ुबार कर दिया

आतिफ़ वहीद 'यासिर'

बहार-ए-ज़ख़्म-ए-लब-ए-आतिशीं हुई मुझ से

आतिफ़ कमाल राना

सर झुकाए सर-ए-महशर जो गुनहगार आए

आसी रामनगरी

बाब-ए-क़फ़स खुलने को खुला है

आसी रामनगरी

दिल दिया जिस ने किसी को वो हुआ साहिब-ए-दिल

आसी ग़ाज़ीपुरी

कुछ कहूँ कहना जो मेरा कीजिए

आसी ग़ाज़ीपुरी

इतना तो जानते हैं कि आशिक़ फ़ना हुआ

आसी ग़ाज़ीपुरी

क़िस्सा-गो

आशुफ़्ता चंगेज़ी

अक़्द-नामे

आशुफ़्ता चंगेज़ी

सदाएँ क़ैद करूँ आहटें चुरा ले जाऊँ

आशुफ़्ता चंगेज़ी

ये इंतिज़ार सहर का था या तुम्हारा था

आनिस मुईन

ये क़र्ज़ तो मेरा है चुकाएगा कोई और

आनिस मुईन

वो मेरे हाल पे रोया भी मुस्कुराया भी

आनिस मुईन

इक कर्ब-ए-मुसलसल की सज़ा दें तो किसे दें

आनिस मुईन

नए ज़माने के नित-नए हादसात लिखना

आनन्द सरूप अंजुम

कुछ भी नहीं है पास तुम्हारी दुआ तो है

आनन्द सरूप अंजुम

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