ओर Poetry (page 14)

है मेरे गिर्द यक़ीनन कहीं हिसार सा कुछ

हुसैन ताज रिज़वी

मैदान

हुसैन आबिद

हवा की तेज़-गामियों का इंकिशाफ़ क्या करें

हुमैरा रहमान

मुद्दत के बाद

हिमायत अली शाएर

इस शहर-ए-ख़ुफ़्तगाँ में कोई तो अज़ान दे

हिमायत अली शाएर

अपना अंदाज़-ए-जुनूँ सब से जुदा रखता हूँ मैं

हिमायत अली शाएर

सुकून-ए-दिल के लिए और क़रार-ए-जाँ के लिए

हीरा लाल फ़लक देहलवी

क्या गुल खिलाए देखिए तपती हुई हवा

हज़ीं लुधियानवी

साक़ी है न मय है न दफ़-ओ-चंग है होली

हातिम अली मेहर

दोपहर रात आ चुकी हीला-बहाना हो चुका

हातिम अली मेहर

वो सब में हम को बार-ए-दिगर देखते रहे

हाशिम रज़ा जलालपुरी

निदा-ए-तख़्लीक़

हसन नईम

कू-ए-रुसवाई से उठ कर दार तक तन्हा गया

हसन नईम

ख़ुर्शीद की निगाह से शबनम को आस क्या

हसन नईम

जब कभी मेरे क़दम सू-ए-चमन आए हैं

हसन नईम

बसर हो यूँ कि हर इक दर्द हादिसा न लगे

हसन नईम

लोग सुब्ह ओ शाम की नैरंगियाँ देखा किए

हसन नज्मी सिकन्दरपुरी

अजीब हाल है सहरा-नशीं हैं घर वाले

हसन अज़ीज़

निभाओ अब उसे जो वज़्अ भी बना ली है

हसन अख्तर जलील

दूध जैसा झाग लहरें रेत और ये सीपियाँ

हसन अकबर कमाल

दूध जैसा झाग लहरें रेत और ये सीपियाँ

हसन अकबर कमाल

सब नज़र आते हैं चेहरे गर्द गर्द

हनीफ़ कैफ़ी

थे मिरे ज़ख़्मों के आईने तमाम

हनीफ़ कैफ़ी

है राह-रौ के हुए हादसात की दीवार

हनीफ़ कैफ़ी

यक़ीन की सल्तनत थी और सुल्तानी हमारी

हम्माद नियाज़ी

क़बा-ए-गर्द हूँ आता है ये ख़याल मुझे

हामिद जीलानी

यक़ीन कैसे करूँगा गुमाँ में रहता हूँ

हमदम कशमीरी

छटी है राह से गर्द-ए-मलाल मेरे लिए

हमदम कशमीरी

गुदाज़-ए-दिल से परवाना हुआ ख़ाक

हकीम मोहम्मद अजमल ख़ाँ शैदा

बे-सूद एक सिलसिला-ए-इम्तिहाँ न खोल

हकीम मंज़ूर

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