रोटेशन Poetry (page 15)

बुझी बुझी है सदा-ए-नग़्मा कहीं कहीं हैं रबाब रौशन

बाक़र मेहदी

लब-ए-जाँ-बख़्श के मीठे का तेरे जो मज़ा पाया

बाक़र आगाह वेलोरी

तुफ़्ता-जानों का इलाज ऐ अहल-ए-दानिश और है

ज़फ़र

रुख़ जो ज़ेर-ए-सुंबल-ए-पुर-पेच-ओ-ताब आ जाएगा

ज़फ़र

मर गए ऐ वाह उन की नाज़-बरदारी में हम

ज़फ़र

गई यक-ब-यक जो हवा पलट नहीं दिल को मेरे क़रार है

ज़फ़र

घटा सावन की उमडी आ रही है

बीएस जैन जौहर

घटा सावन की उमडी आ रही है

बीएस जैन जौहर

इक हम कि उन के वास्ते महव-ए-फ़ुग़ाँ रहे

अज़ीज़ वारसी

दिल में हमारे अब कोई अरमाँ नहीं रहा

अज़ीज़ वारसी

कहानी

अज़ीज़ तमन्नाई

ज़िंदगी यूँ तो गुज़र जाती है आराम के साथ

अज़ीज़ तमन्नाई

दहर में इक तिरे सिवा क्या है

अज़ीज़ तमन्नाई

अब कौन सी मता-ए-सफ़र दिल के पास है

अज़ीज़ तमन्नाई

बचपने की याद

अज़ीज़ लखनवी

ये ग़लत है ऐ दिल-ए-बद-गुमाँ कि वहाँ किसी का गुज़र नहीं

अज़ीज़ लखनवी

चश्म-ए-साक़ी का तसव्वुर बज़्म में काम आ गया

अज़ीज़ लखनवी

ताज़ा हवा बहार की दिल का मलाल ले गई

अज़ीज़ हामिद मदनी

तल्ख़-तर और ज़रा बादा-ए-साफ़ी साक़ी

अज़ीज़ हामिद मदनी

सूरत-ए-ज़ंजीर मौज-ए-ख़ूँ में इक आहंग है

अज़ीज़ हामिद मदनी

क्या हुए बाद-ए-बयाबाँ के पुकारे हुए लोग

अज़ीज़ हामिद मदनी

हवा आशुफ़्ता-तर रखती है हम आशुफ़्ता-हालों को

अज़ीज़ हामिद मदनी

एक ही शहर में रहते बस्ते काले कोसों दूर रहा

अज़ीज़ हामिद मदनी

बैठो जी का बोझ उतारें दोनों वक़्त यहीं मिलते हैं

अज़ीज़ हामिद मदनी

ये और बात है कि मदावा-ए-ग़म न था

अज़ीम मुर्तज़ा

दिल को रहीन-ए-लज़्ज़त-ए-दरमाँ न कर सके

आज़म चिश्ती

न कोई दिन न कोई रात इंतिज़ार की है

अय्यूब ख़ावर

न कोई दिन न कोई रात इंतिज़ार की है

अय्यूब ख़ावर

वो मेरे नाले का शोर ही था शब-ए-सियह की निहायतों में

अतीक़ुल्लाह

हम गर्दिश-ए-गिर्दाब-ए-अलम से नहीं डरते

अतहर राज़

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