हीफ Poetry (page 2)

मुझ को दिमाग़-ए-शेवन-ओ-आह-ओ-फ़ुग़ाँ नहीं

हबीब अहमद सिद्दीक़ी

ग़ैर शायान-ए-रस्म-ओ-राह नहीं

ग़ुलाम मौला क़लक़

जाते हैं वहाँ से गर कहीं हम

ग़ज़नफ़र अली ग़ज़नफ़र

रश्क कहता है कि उस का ग़ैर से इख़्लास हैफ़

ग़ालिब

ज़ख़्म पर छिड़कें कहाँ तिफ़्लान-ए-बे-परवा नमक

ग़ालिब

रश्क कहता है कि उस का ग़ैर से इख़्लास हैफ़

ग़ालिब

जिस ज़ख़्म की हो सकती हो तदबीर रफ़ू की

ग़ालिब

बीम-ए-रक़ीब से नहीं करते विदा-ए-होश

ग़ालिब

दिल नहीं मिलने का फिर मेरा सितमगर टूट कर

फ़रोग़ हैदराबादी

यूँ नज़्म-ए-जहाँ दरहम-ओ-बरहम न हुआ था

फ़ानी बदायुनी

इंसान नहीं वो जो गुनहगार नहीं हैं

डी. राज कँवल

जंग

चन्द्रभान ख़याल

आ गई सर पर क़ज़ा लो सारा सामाँ रह गया

भारतेंदु हरिश्चंद्र

काफ़िर तुझे अल्लाह ने सूरत तो परी दी

ज़फ़र

कैसा मंज़र गुज़रने वाला था

औरंगज़ेब

सितम वो तुम ने किए भूले हम गिला दिल का

अरशद अली ख़ान क़लक़

इश्क़ में तेरे जान-ए-ज़ार हैफ़ है मुफ़्त में चली

अरशद अली ख़ान क़लक़

अदा से देख लो जाता रहे गिला दिल का

अरशद अली ख़ान क़लक़

न बेवफ़ाई का डर था न ग़म जुदाई का

अमीर मीनाई

ग़फ़लत में सोया अब तिलक फिर होवेगा होश्यार कब

अलीमुल्लाह

फ़स्ल-ए-गुल फ़स्ल-ए-ख़िज़ाँ जो भी हो ख़ुश-दिल रहिए

अली सरदार जाफ़री

कारोबारी शहरों में ज़ेहन-ओ-दिल मशीनें हैं जिस्म कारख़ाना है

ऐनुद्दीन आज़िम

घर ग़ैर के जो यार मिरा रात से गया

आफ़ताब शाह आलम सानी

जब निगाह-ए-तलब मो'तबर हो गई

अब्दुल मन्नान तरज़ी

अदा से देख लो जाता रहे गिला दिल का

आफ़ताबुद्दौला लखनवी क़लक़

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