जवानी Poetry (page 3)

इक दामन में फूल भरे हैं इक दामन में आग ही आग

शिव रतन लाल बर्क़ पूंछवी

बिखरी थी हर सम्त जवानी रात घनेरी होने तक

शायान क़ुरैशी

शब-हाए-ऐश का वो ज़माना किधर गया

शौक़ देहलवी मक्की

इक जफ़ा-जू से मोहब्बत हो गई

शौक़ बहराइची

फ़रेब-ए-नज़र

शमीम करहानी

पी कर भी तबीअत में तल्ख़ी है गिरानी है

शमीम करहानी

जबकि दुश्मन हो राज़ दाँ अपना

शाकिर कलकत्तवी

इक शहंशाह ने बनवा के....

शकील बदायुनी

अलीगढ़ छोड़ने के ब'अद

शकील बदायुनी

रदीफ़ क़ाफ़िया बंदिश ख़याल लफ़्ज़-गरी

शहज़ाद क़ैस

कौन कहता है कि दरिया में रवानी कम है

शहज़ाद अहमद

बस रूह सच है बाक़ी कहानी फ़रेब है

शाहिद ज़की

बाम-ओ-दर टूट गए बह गया पानी कितना

शाहिद माहुली

रात है शहर-ए-बुताँ है और हम

शाहिद इश्क़ी

लज़्ज़त-ए-संग न पूछो लोगो उम्र अगर हाथ आए फिर

शाहिद इश्क़ी

एक तुम्हारे प्यार की ख़ातिर जग के दुख अपनाए थे

शाहिद इश्क़ी

सुना है तेरी ज़माने पे हुक्मरानी है

शाहिद ग़ाज़ी

हवस-ए-ज़ुल्फ़-ए-गिरह-गीर लिए बैठे हैं

शहाब जाफ़री

मुझ को शाम-ए-हिज्र की ये जल्वा-आराई बहुत

शहाब अशरफ़

जिस्म उस के ग़म में ज़र्द-अज़-ना-तवानी हो गया

शाह नसीर

फ़ुर्सत एक दम की है जूँ हबाब पानी याँ

शाह नसीर

दोस्त या दुश्मन-ए-जाँ कुछ भी तुम अब बन जाओ

शफ़ीक़ ख़लिश

मौसम-ए-गुल है न दौर-जाम-ओ-सहबा रह गया

शफ़ीक़ जौनपुरी

वो मय-परस्त हूँ बदली न जब नज़र आई

शाद लखनवी

टूटे जो दाँत मुँह की शबाहत बिगड़ गई

शाद लखनवी

सियाहकार सियह-रू ख़ता-शिआर आया

शाद अज़ीमाबादी

क्या फ़क़त तालिब-ए-दीदार था मूसा तेरा

शाद अज़ीमाबादी

एक सितम और लाख अदाएँ उफ़ री जवानी हाए ज़माने

शाद अज़ीमाबादी

बात ईमा-ओ-इशारत से बढ़ी आप ही आप

शबनम शकील

आईन-ए-वफ़ा इतना भी सादा नहीं होता

शबनम शकील

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