जवानी Poetry (page 4)

सदा रहेगी यही रवानी रवाँ है पानी

शब्बीर शाहिद

अन-गिनत शादाब जिस्मों की जवानी पी गया

शबाब ललित

अभी तक उन के वही सितम हैं जफ़ा की ख़ू भी नहीं गई है

शबाब

नग़्मा यूँ साज़ में तड़पा मिरी जाँ हो जैसे

शानुल हक़ हक़्क़ी

कौन बुतों से रिश्ता जोड़े

शाद आरफ़ी

जब तक हम हैं मुमकिन ही नहीं ना-महरम महरम हो जाएँ

शाद आरफ़ी

रंग उड़ कर रौनक़-ए-तस्वीर आधी रह गई

सेहर इश्क़ाबादी

अज़्म-ए-फ़रियाद! उन्हें ऐ दिल-ए-नाशाद नहीं

सीमाब अकबराबादी

अफ़सोस गुज़र गई जवानी

सीमाब अकबराबादी

बिस्तर-ए-हिज्र की शिकनों पे कहानी लिख दे

सय्यद ज़िया अल्वी

बूँद अश्कों से अगर लुत्फ़-ए-रवानी माँगे

सययद मोहम्म्द अब्दुल ग़फ़ूर शहबाज़

दिल ले के हमारा जो कोई तालिब-ए-जाँ है

मोहम्मद रफ़ी सौदा

बार-हा दिल को मैं समझा के कहा क्या क्या कुछ

मोहम्मद रफ़ी सौदा

ऐ आह तिरी क़द्र असर ने तो न जानी

मोहम्मद रफ़ी सौदा

अगला सफ़र तवील नहीं

सत्यपाल आनंद

बे-कैफ़ जवानी है बे-दर्द ज़माना है

सरवर आलम राज़

बे-कैफ़ जवानी है बे-दर्द ज़माना है

सरवर आलम राज़

क़सम इस आग और पानी की

सरवत हुसैन

उन को देखा तो तबीअ'त में रवानी आई

सरदार सोज़

लाख हो माज़ी दामन-गीर

सरदार सोज़

रौनक़-ए-अहद-ए-जवानी अलविदा'अ

सरदार गेंडा सिंह मशरिक़ी

ग़श भी आया मिरी पुर्सिश को क़ज़ा भी आई

साक़िब लखनवी

सामने जब कोई भरपूर जवानी आए

साक़ी अमरोहवी

फ़र्श-ए-ज़मीं पे बर्ग-ए-ख़िज़ानी का रंग है

सलीम शाहिद

बुझ गए शो'ले धुआँ आँखों को पानी दे गया

सलीम शाहिद

तारे जो कभी अश्क-फ़िशानी से निकलते

सलीम कौसर

घिरते बादल में तन्हाई कैसी लगती है

सज्जाद बाक़र रिज़वी

ख़ुशबू है शरारत है रंगीन जवानी है

सैफ़ी प्रेमी

शिकस्त

साहिर लुधियानवी

सर-ज़मीन-ए-यास

साहिर लुधियानवी

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