विचार Poetry (page 57)

हमें ख़बर नहीं कुछ कौन है कहाँ कोई है

अबरार अहमद

क्यूँ न अपनी ख़ूबी-ए-क़िस्मत पे इतराती हवा

आबिद मुनावरी

रात

आबिद आलमी

मिरा बदन है मगर मुझ से अजनबी है अभी

आबिद आलमी

दर-ए-ख़याल भी खोलें सियाह शब भी करें

अभिषेक शुक्ला

अभी तो आप ही हाइल है रास्ता शब का

अभिषेक शुक्ला

अब इख़्तियार में मौजें न ये रवानी है

अभिषेक शुक्ला

गुमान तोड़ चुका मैं मगर नहीं कोई है

अब्दुर्राहमान वासिफ़

हम क्या कहें कि आबला-पाई से क्या मिला

अब्दुल्लाह जावेद

जब करें मुझ तिरे का ख़्याल अँखियाँ

अब्दुल वहाब यकरू

नीम-चा जल्द म्याँ ही न मियाँ कीजिएगा

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

तुझ को अग़राज़-ए-जहाँ से मावरा समझा था मैं

अब्दुल रहमान बज़्मी

जाना कहाँ है और कहाँ जा रहे हैं हम

अब्दुल मजीद ख़ाँ मजीद

शायद मुझे निकाल के पछता रहे हों आप

अब्दुल हमीद अदम

मुंक़लिब सूरत-ए-हालात भी हो जाती है

अब्दुल हमीद अदम

मतलब मुआ'मलात का कुछ पा गया हूँ मैं

अब्दुल हमीद अदम

दुआएँ दे के जो दुश्नाम लेते रहते हैं

अब्दुल हमीद अदम

दिल है बड़ी ख़ुशी से इसे पाएमाल कर

अब्दुल हमीद अदम

फीकी ज़र्द दोपहर

अब्दुल अहद साज़

नानी-अमाँ की वफ़ात पर एक नज़्म

अब्दुल अहद साज़

मुतज़ाद ज़ाविए

अब्दुल अहद साज़

फ़साद के ब'अद

अब्दुल अहद साज़

मिज़ाज-ए-सहल-तलब अपना रुख़्सतें माँगे

अब्दुल अहद साज़

खिले हैं फूल की सूरत तिरे विसाल के दिन

अब्दुल अहद साज़

ये वाहिमे भी अजब बाम-ओ-दर बनाते हैं

अब्बास ताबिश

ये हम जो हिज्र में उस का ख़याल बाँधते हैं

अब्बास ताबिश

ये हम जो हिज्र में उस का ख़याल बाँधते हैं

अब्बास ताबिश

वो चाँद हो कि चाँद सा चेहरा कोई तो हो

अब्बास ताबिश

उस का ख़याल ख़्वाब के दर से निकल गया

अब्बास ताबिश

दर-ए-उफ़ुक़ पे रक़म रौशनी का बाब करें

अब्बास ताबिश

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