शायद मुझे निकाल के पछता रहे हों आप
महफ़िल में इस ख़याल से फिर आ गया हूँ मैं
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देख कर दिल-कशी ज़माने की
मुस्कुरा कर ख़िताब करते हो
कौन अंगड़ाई ले रहा है 'अदम'
तौबा का तकल्लुफ़ कौन करे हालात की निय्यत ठीक नहीं
उन को अहद-ए-शबाब में देखा
आप की आँख अगर आज गुलाबी होगी
दफ़्न हैं साग़रों में हंगामे
ऐ ख़राबात के ख़ुदावंदो
वो अबरू याद आते हैं वो मिज़्गाँ याद आते हैं
बहर-ए-आलाम बे-किनारा है
साक़ी मुझे शराब की तोहमत नहीं पसंद
तख़लीक़-ए-काएनात के दिलचस्प जुर्म पर