आपका Poetry (page 44)

क़स्बाती लड़कों का गीत

अबरार अहमद

यक़ीन है कि गुमाँ है मुझे नहीं मालूम

अबरार अहमद

कफ़-ए-ख़िज़ाँ पे खिला मैं इस ए'तिबार के साथ

आबिद सयाल

अगले पड़ाव पर यूँही ख़ेमा लगाओगे

आबिद मुनावरी

आख़िरी बार ज़माने को दिखाया गया हूँ

आबिद मलिक

चलते हुए मुझ में कहीं ठहरा हुआ तू है

अभिषेक शुक्ला

अब इख़्तियार में मौजें न ये रवानी है

अभिषेक शुक्ला

जफ़ा के ज़िक्र पे वो बद-हवास कैसा है

अब्दुस्समद ’तपिश’

देख कर मेरी अना किस दर्जा हैरानी में है

अब्दुस्समद ’तपिश’

मिज़्गाँ ने रोका आँखों में दम इंतिज़ार से

अब्दुल्ल्ला ख़ाँ महर लखनवी

क्यूँके करे न शहर को रो रो उजाड़ चश्म

अब्दुल वहाब यकरू

गुदाज़-ए-आतिश-ए-ग़म सीं हुई हैं बावली अँखियाँ

अब्दुल वहाब यकरू

गल को शर्मिंदा कर ऐ शोख़ गुलिस्तान में आ

अब्दुल वहाब यकरू

अगर वो गुल-बदन दरिया नहाने बे-हिजाब आवे

अब्दुल वहाब यकरू

पुर्सिश है चश्म-ए-अश्क-फ़शाँ पर न आए हर्फ़

अब्दुल मन्नान तरज़ी

मिरी निगाह को जल्वों का हौसला दे दो

अब्दुल मन्नान तरज़ी

जब कोई मेहरबान होता है

अब्दुल मजीद ख़ाँ मजीद

दिल ख़ुश हुआ है मस्जिद-ए-वीराँ को देख कर

अब्दुल हमीद अदम

दरोग़ के इम्तिहाँ-कदे में सदा यही कारोबार होगा

अब्दुल हमीद अदम

बस इस क़दर है ख़ुलासा मिरी कहानी का

अब्दुल हमीद अदम

क़ज़ा से क़र्ज़ किस मुश्किल से ली उम्र-ए-बक़ा हम ने

अब्दुल अज़ीज़ ख़ालिद

नख़चीर हूँ मैं कश्मकश-ए-फ़िक्र-ओ-नज़र का

अब्दुल अज़ीज़ ख़ालिद

ख़ामोश कली सारे गुलिस्ताँ की ज़बाँ है

अब्दुल अज़ीज़ फ़ितरत

घर वाले मुझे घर पर देख के ख़ुश हैं और वो क्या जानें

अब्दुल अहद साज़

नानी-अमाँ की वफ़ात पर एक नज़्म

अब्दुल अहद साज़

यूँ भी दिल अहबाब के हम ने गाहे गाहे रक्खे थे

अब्दुल अहद साज़

मैं ने अपनी रूह को अपने तन से अलग कर रक्खा है

अब्दुल अहद साज़

घुल सी गई रूह में उदासी

अब्दुल अहद साज़

बजा कि पाबंद-ए-कूचा-ए-नाज़ हम हुए थे

अब्दुल अहद साज़

बद-सोहबतों को छोड़ शरीफ़ों के साथ घूम

अब्दुल अहद साज़

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