भाग्य Poetry (page 9)

भर आईं आँखें किसी भूली याद से शाम के मंज़र में

इफ़्तिख़ार बुख़ारी

घर से निकले हुए बेटों का मुक़द्दर मालूम

इफ़्तिख़ार आरिफ़

शहर-आशोब

इफ़्तिख़ार आरिफ़

सौग़ात

इफ़्तिख़ार आरिफ़

पस च-बायद-कर्द

इफ़्तिख़ार आरिफ़

एक शायर एक नज़्म

इफ़्तिख़ार आरिफ़

ये बस्तियाँ हैं कि मक़्तल दुआ किए जाएँ

इफ़्तिख़ार आरिफ़

ये अब खुला कि कोई भी मंज़र मिरा न था

इफ़्तिख़ार आरिफ़

सुख़न-ए-हक़ को फ़ज़ीलत नहीं मिलने वाली

इफ़्तिख़ार आरिफ़

अगर वो मिल के बिछड़ने का हौसला रखता

इफ़्फ़त ज़र्रीं

रहमतों में तिरी आग़ोश की पाले गए हम

इफ़्फ़त अब्बास

बदन पे पैरहन-ए-ख़ाक के सिवा क्या है

हिमायत अली शाएर

आँख की क़िस्मत है अब बहता समुंदर देखना

हिमायत अली शाएर

रास आई न मुझे अंजुमन-आराई भी

हिदायतुल्लाह ख़ान शम्सी

कई सितारे यहाँ टूटते बिखरते हैं

हयात लखनवी

वारिद कोह-ए-बयाबाँ जब में दीवाना हुआ

हातिम अली मेहर

शीशे के मुक़द्दर में बदल क्यूँ नहीं होता

हस्तीमल हस्ती

राह-रस्ते में तू यूँ रहता है आ कर हम से मिल

हसरत अज़ीमाबादी

कब तलक पीवेगा तू तर-दामनों से मिल के मुल

हसरत अज़ीमाबादी

ये उस की मर्ज़ी कि मैं उस का इंतिख़ाब न था

हाशिम रज़ा जलालपुरी

तू नहीं है तो तिरे हमनाम से रिश्ता रक्खा

हाशिम रज़ा जलालपुरी

चले गए हो सुकून-ओ-क़रार-ए-जाँ ले कर

हसन ताहिर

वो मन गए तो वस्ल का होगा मज़ा नसीब

हसन बरेलवी

आईना तुम्हारे नक़्श-ए-पा का

हसन बरेलवी

रात लम्बी भी है और तारीक भी शब-गुज़ारी का सामाँ करो दोस्तो

हसन अख्तर जलील

क्या गुमाँ था कि न होगा कोई हम-सर अपना

हसन अकबर कमाल

किसी के हिज्र में यूँ टूट कर रोया नहीं करते

हसन अब्बास रज़ा

वो मद प्याले लुंढाते ही रहे बस

हरबंस लाल अनेजा 'जमाल'

है राह-रौ के हुए हादसात की दीवार

हनीफ़ कैफ़ी

हुज्रा-ए-ख़्वाब से बाहर निकला

हम्माद नियाज़ी

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