उदासी Poetry (page 6)

दिल के सूने सहन में गूँजी आहट किस के पाँव की

हम्माद नियाज़ी

मिरे ऐबों की इस्लाहें हुआ कीं बहस-ए-दुश्मन से

हफ़ीज़ जौनपुरी

अब ख़ूब हँसेगा दीवाना

हफ़ीज़ जालंधरी

गलियों की उदासी पूछती है घर का सन्नाटा कहता है

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

समीता-पाटिल

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

हर एक पल की उदासी को जानता है तो आ

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

गलियों की उदासी पूछती है घर का सन्नाटा कहता है

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

सिसक रही हैं थकी हवाएँ लिपट के ऊँचे सनोबरों से

ग़ुलाम हुसैन साजिद

अपने अपने लहू की उदासी लिए सारी गलियों से बच्चे पलट आएँगे

ग़ुलाम हुसैन साजिद

सामान-ए-ऐश सारा हमें यूँ तू दे गया

ग़ज़नफ़र

क़दम क़दम पे है रक़्साँ उदासियों का झुण्ड

ग़ौसिया ख़ान सबीन

ज़िंदगी से उम्र-भर तक चलने का वादा किया

गौतम राजऋषि

वह ज़ुल्म-ओ-सितम ढाए और मुझ से वफ़ा माँगे

फ़िरदौस गयावी

तेज़ एहसास-ए-ख़ुदी दरकार है

फ़िराक़ गोरखपुरी

हस्ती इक नक़्श-ए-इनइकासी है

फ़िगार उन्नावी

रातों के ख़ौफ़ दिन की उदासी ने क्या दिया

फ़ज़्ल ताबिश

ख़र्च जब हो गई जज़्बों की रक़म आप ही आप

फ़े सीन एजाज़

चश्म-ए-हैरत को तअल्लुक़ की फ़ज़ा तक ले गया

फ़सीह अकमल

सिलसिले ख़्वाब के अश्कों से सँवरते कब हैं

फ़ारूक़ शमीम

हमारे कमरे में पत्तियों की महक ने

फरीहा नक़वी

क्यूँ दिया था? बता! मेरी वीरानियों में सहारा मुझे

फरीहा नक़वी

शाम कहती है कोई बात जुदा सी लिक्खूँ

फ़रहत शहज़ाद

लोग यूँ जाते नज़र आते हैं मक़्तल की तरफ़

फ़रहत एहसास

हुई इक ख़्वाब से शादी मिरी तन्हाई की

फ़रहत एहसास

देखो अभी लहू की इक धार चल रही है

फ़रहत एहसास

फूलों की ताज़गी में उदासी है शाम की

फ़राज़ सुल्तानपूरी

इक दिल की ख़ातिर इतने तो फ़ित्ने कभी न थे

फ़राज़ सुल्तानपूरी

ज़िंदगी चुपके से इक बात कहा करती है

फ़रह इक़बाल

जानता हूँ कि कई लोग हैं बेहतर मुझ से

फ़ैज़ी

मिरे हमदम मिरे दोस्त!

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

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