उम्मीद Poetry (page 13)

इस सदी का जब कभी ख़त्म-ए-सफ़र देखेंगे लोग

रम्ज़ अज़ीमाबादी

वो रह-ओ-रस्म न वो रब्त-ए-निहाँ बाक़ी है

राम कृष्ण मुज़्तर

रक़्स-ए-शबाब-ओ-रंग-ए-बहाराँ नज़र में है

राम कृष्ण मुज़्तर

फिर कोई ख़लिश नज़्द-ए-राग-ए-जाँ तो नहीं है

राम कृष्ण मुज़्तर

सियाह-ख़ाना-ए-उम्मीद-ए-राएगाँ से निकल

राजेन्द्र मनचंदा बानी

आज तो रोने को जी हो जैसे

राजेन्द्र मनचंदा बानी

न जिस्म साथ हमारे न जाँ हमारी तरफ़

राजेश रेड्डी

क़ुरआँ किताब है रुख़-ए-जानाँ के सामने

रजब अली बेग सुरूर

नख़्ल-ए-उमीद-ओ-आरज़ू बे-बर्ग-ओ-बार है

राज कुमार सूरी नदीम

नवा-ए-दिल ने करिश्मे दिखाए हैं क्या क्या

राज कुमार क़ैस

मुतालेआ की हवस है किताब दे जाओ

राही फ़िदाई

इधर कुछ दिन से दिल की बेकली कम हो गई है

इरफ़ान सत्तार

हर एक शक्ल में सूरत नई मलाल की है

इरफ़ान सत्तार

हमें नहीं आते ये कर्तब नए ज़माने वाले

इरफ़ान सत्तार

अब इलाज-ए-दिल-ए-बीमार-ए-सहर हो कि न हो

इक़बाल उमर

उफ़ क्या मज़ा मिला सितम-ए-रोज़गार में

इक़बाल सुहैल

ख़्वाहिशों के पेड़ से गिरते हुए पत्ते न चुन

इक़बाल नवेद

ये ज़मीं हम को मिली बहते हुए पानी के साथ

इक़बाल नवेद

दोस्तों के हू-ब-हू पैकर का अंदाज़ा लगा

इक़बाल नवेद

हस्ब-ए-मामूल आए हैं शाख़ों में फूल अब के बरस

इक़बाल माहिर

ख़्वाब बर्फ़ानी चिता है

इक़बाल ख़ुसरो क़ादरी

अब बाँझ ज़मीनों से उम्मीद भी क्या रखना

इक़बाल कौसर

'इक़बाल' यूँही कब तक हम क़ैद-ए-अना काटें

इक़बाल कौसर

हम बहुत दूर निकल आए हैं चलते चलते

इक़बाल अज़ीम

बिल-एहतिमाम ज़ुल्म की तज्दीद की गई

इक़बाल अज़ीम

बिजलियों के रक़ीब होते हैं

इन्तिज़ार ग़ाज़ीपुरी

यास-ओ-उमीद-ओ-शादी-ओ-ग़म ने धूम उठाई सीने में

इंशा अल्लाह ख़ान

नींद मस्तों को कहाँ और किधर का तकिया

इंशा अल्लाह ख़ान

मिल गए पर हिजाब बाक़ी है

इंशा अल्लाह ख़ान

आने अटक अटक के लगी साँस रात से

इंशा अल्लाह ख़ान

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