नवा-ए-दिल ने करिश्मे दिखाए हैं क्या क्या

नवा-ए-दिल ने करिश्मे दिखाए हैं क्या क्या

मिरी अज़ाँ ने नमाज़ी जगाए हैं क्या क्या

जमाल-ए-यार तिरी आब-ओ-ताब क्या कहिए

नज़र नज़र पे क़दम डगमगाए हैं क्या क्या

अदा-ए-नाज़ को अंदाज़-ए-दिलबरी समझे

फ़रेब अहल-ए-मोहब्बत ने खाए हैं क्या क्या

ज़मीं ज़मीं न रही और फ़लक फ़लक न रहा

मक़ाम-ओ-वक़्त भी गर्दिश में आए हैं क्या क्या

वो तेरी शोख़-निगाही वो तेरी ख़ंदा-लबी

दिल-ए-ग़रीब पे चरके लगाए हैं क्या क्या

कभी ख़ुलूस-ए-मोहब्बत कभी गुरेज़-ओ-फ़रार

बना बना के मुक़द्दर मिटाए हैं क्या क्या

कभी तो देख कि मेरी तबाह-हाली पर

हयात-ओ-मौत ने आँसू बहाए हैं क्या क्या

है आज ख़ून-ए-तमन्ना तो कल उम्मीद की मौत

दिल-ए-हज़ीं ने जनाज़े उठाए हैं क्या क्या

निगाह-ए-'क़ैस' तिरी दस्तरस को मान गए

कहाँ कहाँ से मज़ामीं चुराए हैं क्या क्या

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In Hindi By Famous Poet Raj Kumar Qais. is written by Raj Kumar Qais. Complete Poem in Hindi by Raj Kumar Qais. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.