रास्ता Poetry (page 6)

हमल-सरा

साक़ी फ़ारुक़ी

घर

साक़ी फ़ारुक़ी

ज़मानों के ख़राबों में उतर कर देख लेता हूँ

साक़ी फ़ारुक़ी

मंज़िलें लाख कठिन आएँ गुज़र जाऊँगा

साक़ी अमरोहवी

इक उम्र की देर

समीना राजा

शहरयारों ने दिखाईं मुझ को तस्वीरें बहुत

सलीम शहज़ाद

वो लोग भी हैं जो मौजों से डर गए होंगे

सलीम अहमद

उम्र भर काविश-ए-इज़हार ने सोने न दिया

सलीम अहमद

मिरी रात खो गई है किसी जागते बदन में

सलाहुद्दीन परवेज़

तारे सारे रक़्स करेंगे चाँद ज़मीं पर उतरेगा

साजिद हाश्मी

आज सोचा है कि ख़ुद रस्ते बनाना सीख लूँ

साइमा असमा

वीडियो गेम

साइमा असमा

उस रस्ते पर जाते देखा कोई नहीं है

साइमा असमा

ख़ाली हाथों में मोहब्बत बाँटती रह जाऊँगी

साइमा असमा

दयार-ए-दिल से किसी का गुज़र ज़रूरी था

साइम जी

बड़े ख़तरे में है हुस्न-ए-गुलिस्ताँ हम न कहते थे

सैफ़ुद्दीन सैफ़

साए जो संग-ए-राह थे रस्ते से हट गए

सैफ़ ज़ुल्फ़ी

फिर वही कुंज-ए-क़फ़स

साहिर लुधियानवी

तोड़ लेंगे हर इक शय से रिश्ता तोड़ देने की नौबत तो आए

साहिर लुधियानवी

मुझ पे ऐसा कोई शे'र नाज़िल न हो

सहबा अख़्तर

निकल गए थे जो सहरा में अपने इतनी दूर

सग़ीर मलाल

जिस को तय कर न सके आदमी सहरा है वही

सग़ीर मलाल

क्रिकेट मैच

साग़र ख़य्यामी

हुजूम-ए-यास में माँ की दुआ मिलती रही है

सफ़दर सलीम सियाल

ये हादसा भी तो कुछ कम न था सबा के लिए

सईद अहमद अख़्तर

वो तो ख़ुश्बू है हर इक सम्त बिखरना है उसे

सदा अम्बालवी

इक सफ़र पर उसे भेज कर आ गए

साबिर वसीम

अजल होती रहेगी इश्क़ कर के मुल्तवी कब तक

सबा अकबराबादी

ये किस हसीन ने लोगों को रोक रक्खा है

रूही कंजाही

याद आते हो किस सलीक़े से

रूही कंजाही

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