संबंध Poetry (page 13)

कैसे समझाऊँ नसीम-ए-सुब्ह तुझ को क्या हूँ मैं

अख़्तर सईद ख़ान

मिरी तरफ़ से तो टूटा नहीं कोई रिश्ता

अख़्तर नज़्मी

सिलसिला ज़ख़्म ज़ख़्म जारी है

अख़्तर नज़्मी

उदास कोहसार के नौहे

अख़्तर हुसैन जाफ़री

ज़मीन पर ही रहे आसमाँ के होते हुए

अख़्तर होशियारपुरी

अपना साया भी न हम-राह सफ़र में रखना

अख़्तर होशियारपुरी

हाँ यही शहर मिरे ख़्वाबों का गहवारा था

अकबर हैदराबादी

दूर तक बस इक धुँदलका गर्द-ए-तन्हाई का था

अकबर हैदराबादी

मेरे अंदर जो इक फ़क़ीरी है

अजय सहाब

हम भी गुज़र गए यहाँ कुछ पल गुज़ार के

अजय सहाब

मुझ से मुख़्लिस था न वाक़िफ़ मिरे जज़्बात से था

ऐतबार साजिद

कहा दिन को भी ये घर किस लिए वीरान रहता है

ऐतबार साजिद

मोहब्बतों को कहीं और पाल कर देखो

अहमद शनास

दुनिया से हर रिश्ता तोड़ा ख़ुद से रु-गर्दानी की

अहमद शहरयार

मुझे मंज़ूर गर तर्क-ए-तअल्लुक़ है रज़ा तेरी

अहमद नदीम क़ासमी

तू बिगड़ता भी है ख़ास अपने ही अंदाज़ के साथ

अहमद नदीम क़ासमी

साँस लेना भी सज़ा लगता है

अहमद नदीम क़ासमी

मुदावा हब्स का होने लगा आहिस्ता आहिस्ता

अहमद नदीम क़ासमी

हम उन के नक़्श-ए-क़दम ही को जादा करते रहे

अहमद नदीम क़ासमी

उस से रिश्ता है अभी तक मेरा

अहमद महफ़ूज़

बे-बर्ग शजर

अहमद हमेश

किसी जानिब से भी परचम न लहू का निकला

अहमद फ़राज़

मैं ख़ुद को इस लिए मंज़र पे लाने वाला नहीं

अफ़ज़ल गौहर राव

पहली तारीख़

आफ़ताब शम्सी

करता कुछ और है वो दिखाता कुछ और है

आफ़ताब हुसैन

धूप जब ढल गई तो साया नहीं

आफ़ताब हुसैन

हुआ ख़त्म दरिया तो सहरा लगा

आदिल मंसूरी

आने वाला है कोई मेहमान क्या

आदिल हयात

हम अपना आप लुटाने कहाँ पे आ गए हैं

अदील ज़ैदी

वो लम्हा जो मेरा था

अदा जाफ़री

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