आइटम Poetry (page 12)

बला-ए-जाँ मुझे हर एक ख़ुश-जमाल हुआ

हैदर अली आतिश

यही मसअला है जो ज़ाहिदो तो मुझे कुछ इस में कलाम है

हफ़ीज़ जौनपुरी

मेरी शाएरी

हफ़ीज़ जालंधरी

कृष्ण कन्हैया

हफ़ीज़ जालंधरी

अभी तो मैं जवान हूँ

हफ़ीज़ जालंधरी

निगाह-ए-आरज़ू-आमोज़ का चर्चा न हो जाए

हफ़ीज़ जालंधरी

हैरान न हो देख मैं क्या देख रहा हूँ

हफ़ीज़ जालंधरी

दिल-ए-बे-मुद्दआ है और मैं हूँ

हफ़ीज़ जालंधरी

वो बात 'हफ़ीज़' अब नहीं मिलती किसी शय में

हफ़ीज़ बनारसी

हमारे अहद का मंज़र अजीब मंज़र है

हफ़ीज़ बनारसी

क्या हुआ वीराँ किया गर मोहतसिब ने मय-कदा

हबीब मूसवी

शराब पी जान तन में आई अलम से था दिल कबाब कैसा

हबीब मूसवी

भला हो जिस काम में किसी का तो उस में वक़्फ़ा न कीजिएगा

हबीब मूसवी

अब तो जो शय है मिरी नज़रों में है ना-पाएदार

हबीब अहमद सिद्दीक़ी

ख़िज़ाँ-नसीब की हसरत ब-रू-ए-कार न हो

हबीब अहमद सिद्दीक़ी

सीलन

गुलज़ार

ख़ुद-कुशी

गुलज़ार

मैं नहीं हूँ मगर

गुलनाज़ कौसर

मिरी आह-ओ-फ़ुग़ाँ कुछ भी नहीं है

गोर बचन सिंह दयाल मग़मूम

जब मिली उन से नज़र मिटने का सामाँ हो गया

गोर बचन सिंह दयाल मग़मूम

रखता नहीं है दश्त सरोकार आब से

ग़ुलाम मुर्तज़ा राही

तेरे दर पर मक़ाम रखते हैं

ग़ुलाम मौला क़लक़

क्या कहें तुझ से हम वफ़ा क्या है

ग़ुलाम मौला क़लक़

जो दिलबर की मोहब्बत दिल से बदले

ग़ुलाम मौला क़लक़

रुका हूँ किस के वहम में मिरे गुमान में नहीं

ग़ुलाम हुसैन साजिद

मिल गई है बादिया-पैमाई से मंज़िल मिरी

ग़ुलाम हुसैन साजिद

मिरे नज्म-ए-ख़्वाब के रू-ब-रू कोई शय नहीं मिरे ढंग की

ग़ुलाम हुसैन साजिद

जहाँ भर में मिरे दिल सा कोई घर हो नहीं सकता

ग़ुलाम हुसैन साजिद

अभी आइना मुज़्महिल है

ग़ुफ़रान अमजद

कोई हमराह नहीं राह की मुश्किल के सिवा

ग़नी एजाज़

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