अब तो जो शय है मिरी नज़रों में है ना-पाएदार
अब तो जो शय है मिरी नज़रों में है ना-पाएदार
याद आया मैं कि ग़म को जावेदाँ समझा था मैं
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अब तो जो शय है मिरी नज़रों में है ना-पाएदार
याद आया मैं कि ग़म को जावेदाँ समझा था मैं
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