आफ़ियत की उम्मीद क्या कि अभी
दिल-ए-उम्मीद-वार बाक़ी है
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तग-ओ-ताज़-ए-पैहम है मीरास-ए-आदम
मेरे लिए जीने का सहारा है अभी तक
बताए कौन किसी को निशान-ए-मंज़िल-ज़ीस्त
मुझ को एहसास-ए-रंग-ओ-बू न हुआ
जो काम करने हैं उस में न चाहिए ताख़ीर
ये महर-ओ-माह-ओ-कवाकिब की बज़्म-ए-ला-महदूद
ब-सद अदा-ए-दिलबरी है इल्तिजा-ए-मय-कशी
और ऐ चश्म-ए-तरब बादा-ए-गुलफ़ाम अभी
जिस के वास्ते बरसों सई-ए-राएगाँ की है
फ़ैज़ पहुँचे हैं जो बहारों से
फ़ैज़-ए-अय्याम-ए-बहार अहल-ए-क़फ़स क्या जानें