तग-ओ-ताज़-ए-पैहम है मीरास-ए-आदम
मिरे मुंतज़िर कुछ जहाँ और भी हैं
Allama Iqbal
Habib Jalib
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Parveen Shakir
Jaun Eliya
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मुझ को एहसास-ए-रंग-ओ-बू न हुआ
ये महर-ओ-माह-ओ-कवाकिब की बज़्म-ए-ला-महदूद
आफ़ियत की उम्मीद क्या कि अभी
कुछ भी दुश्वार नहीं अज़्म-ए-जवाँ के आगे
कभी बे-कली कभी बे-दिली है अजीब इश्क़ की ज़िंदगी
न बेताबी न आशुफ़्ता-सरी है
बताए कौन किसी को निशान-ए-मंज़िल-ज़ीस्त
है नवेद-ए-बहार हर लब पर
इक फ़स्ल-ए-गुल को ले के तही-दस्त क्या करें
ब-सद अदा-ए-दिलबरी है इल्तिजा-ए-मय-कशी
मेरे लिए जीने का सहारा है अभी तक
दुनिया को रू-शनास-ए-हक़ीक़त न कर सके