ब-सद अदा-ए-दिलबरी है इल्तिजा-ए-मय-कशी
ये होश अब किसे कि मय हराम या हलाल है
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एक काबा के सनम तोड़े तो क्या
ख़िज़ाँ-नसीब की हसरत ब-रू-ए-कार न हो
बताए कौन किसी को निशान-ए-मंज़िल-ज़ीस्त
इज़हार-ए-ग़म किया था ब-उम्मीद-ए-इल्तिफ़ात
मेरे लिए जीने का सहारा है अभी तक
मौत के ब'अद भी मरने पे न राज़ी होना
मुझ को एहसास-ए-रंग-ओ-बू न हुआ
जिस के वास्ते बरसों सई-ए-राएगाँ की है
न हो कुछ और तो वो दिल अता हो
कभी बे-कली कभी बे-दिली है अजीब इश्क़ की ज़िंदगी
फ़ैज़-ए-अय्याम-ए-बहार अहल-ए-क़फ़स क्या जानें