मेरे लिए जीने का सहारा है अभी तक
वो अहद-ए-तमन्ना कि तुम्हें याद न होगा
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आश्ना जब तक न था उस की निगाह-ए-लुत्फ़ से
वो भला कैसे बताए कि ग़म-ए-हिज्र है क्या
तग-ओ-ताज़-ए-पैहम है मीरास-ए-आदम
हज़ारों तमन्नाओं के ख़ूँ से हम ने
कितने सनम ख़ुद हम ने तराशे
अपने दामन में एक तार नहीं
अब बहुत दूर नहीं मंज़िल-ए-दोस्त
कभी बे-कली कभी बे-दिली है अजीब इश्क़ की ज़िंदगी
ब-सद अदा-ए-दिलबरी है इल्तिजा-ए-मय-कशी
अब तो जो शय है मिरी नज़रों में है ना-पाएदार
जबीं-ए-नवाज़ किसी की फ़ुसूँ-गरी क्यूँ है
बताए कौन किसी को निशान-ए-मंज़िल-ज़ीस्त