कितने सनम ख़ुद हम ने तराशे
ज़ौक़-ए-परस्तिश अल्लाहु-अकबर
Allama Iqbal
Mir Taqi Mir
Ahmad Faraz
Gulzar
Parveen Shakir
Faiz Ahmad Faiz
Rahat Indori
Wasi Shah
Habib Jalib
Jaun Eliya
Javed Akhtar
Anwar Masood
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1166) Peoples Rate This
ख़िज़ाँ-नसीब की हसरत ब-रू-ए-कार न हो
न बेताबी न आशुफ़्ता-सरी है
कभी बे-कली कभी बे-दिली है अजीब इश्क़ की ज़िंदगी
ब-सद अदा-ए-दिलबरी है इल्तिजा-ए-मय-कशी
बताए कौन किसी को निशान-ए-मंज़िल-ज़ीस्त
ये महर-ओ-माह-ओ-कवाकिब की बज़्म-ए-ला-महदूद
तग-ओ-ताज़-ए-पैहम है मीरास-ए-आदम
इज़हार-ए-ग़म किया था ब-उम्मीद-ए-इल्तिफ़ात
उन निगाहों को अजब तर्ज़-ए-कलाम आता है
इक फ़स्ल-ए-गुल को ले के तही-दस्त क्या करें
मेरे लिए जीने का सहारा है अभी तक
फ़ैज़-ए-अय्याम-ए-बहार अहल-ए-क़फ़स क्या जानें